श्रीगणेश की 5 मिनट की संक्षिप्त पूजा विधि
तैंतीस करोड़ देवताओं में सबसे विलक्षण और सबके आराध्य श्रीगणेश आनन्द और मंगल देने वाले, कृपा और विद्या के सागर, बुद्धि देने वाले, सिद्धियों के भण्डार और सब विघ्नों के नाशक हैं । अत: अपना कल्याण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन उनका स्मरण व अर्चन अवश्य करना चाहिए ।
भगवान के अनेक नाम क्यों होते हैं ?
जानें, परमात्मा के परम प्रभावशाली 11 नाम जिनके जप से मनुष्य कोटि जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है ।
राहु पीड़ा से मुक्ति के सरल उपाय
राज्य पक्ष से आई विपत्तियों से मुक्ति दिलाने में राहु की आराधना बहुत उपयोगी है । जब कुण्डली में राहु अशुभ स्थान में हो तो व्यक्ति चिन्ताग्रस्त होकर अनिद्रा रोगी व चिड़चिड़ा हो जाता है । उसे एकाकी जीवन अच्छा लगता है ।
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए जलायें संध्या काल में दीपक
संध्या काल प्रकाश रूप परमात्मा से जुड़ने का समय है इसलिए इस समय न तो खाना खाना चाहिए क्योंकि इससे अस्वस्थता आती है, न पढ़ना चाहिए क्योंकि पढ़ा हुआ याद नहीं रहता और न ही काम भावना रखनी चाहिए क्योंकि ऐसे समय के बच्चे आसुरी गुणों के होते हैं ।
कार्तिकमास में दीपदान
महालक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए शरद पूर्णिमा से पूरे मास आकाशदीप प्रज्जवलित करना चाहिए इससे मनुष्य यम की यातना से मुक्त हो जाता है और अपने परिवार के साथ सभी प्रकार के भोगों को भोग करके अंत में विष्णुलोक को प्राप्त होता है ।
हिन्दू धर्म में सिर पर शिखा या चोटी क्यों रखी जाती...
शिखा या चोटी रखना हिन्दुओं का केवल धर्म ही नहीं है, यह हमारे ऋषि-मुनियों की विलक्षण खोज का चमत्कार है । हिन्दू...
शरीर, मन और आत्मा के कायाकल्प के लिए कल्पवास
ऐसी मान्यता है कि जो संकल्प कर कल्पवास करता है वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है ।
भगवान की पूजा का सबसे सुन्दर साधन : पुष्प
यदि किसी के पास पुष्प नहीं हैं तो वह अहिंसा, इन्द्रिय निग्रह, दया, क्षमा, तप, सत्य, ध्यान, ज्ञान आदि भाव पुष्पों से ही मानसिक पूजा कर सकता है । इन भाव-पुष्पों से अर्चना करने वालों को नरक यातना नहीं सहनी पड़ती है ।
नित्य तुलसी पूजा की संक्षिप्त विधि
जो दर्शन करने ने पर सारे पापों का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचे जाने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है, आरोपित किए जाने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों पर चढ़ाये जाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उन तुलसीदेवी को नमस्कार है ।
नवग्रह : मन्त्र और व्रत-विधि
जन्मकुण्डली के प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल करना बहुत आवश्यक है । इसके लिए शास्त्रों में नवग्रह उपासना का विधान बताया है जिसमें रत्न और यंत्र धारण करना, व्रत और जप करना व विभिन्न औषधियों के स्नान आदि उपाय बताए गए हैं । नवग्रहों की पीड़ा निवारण में व्रत-नियम शीघ्र ही फल देने वाले हैं ।