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हिन्दू धर्म के सभी देवताओं में भगवान श्रीगणेश का असाधारण महत्व है; इतना महत्व अन्य किसी देवता को प्राप्त नहीं है । वे आद्य-पूज्य देव हैं । 

श्रीगणेश का रूप अत्यंत असामान्य है । उनका छोटे हाथी के शिशु के समान बड़ा ही लावण्यमय मुख है । उनकी सूंड़ को सिद्धि देने वाली माना गया है । वे रक्तवर्ण के हैं । श्रीगणेश एकदन्त  और लम्बोदर हैं और रक्त वर्ण के वस्त्रधारी हैं, उनके कान सूप जैसे हैं । उनके सम्पूर्ण शरीर पर लाल-चंदन का लेप है, भाल पर चंद्रमा है, गले में मोतियों की माला है । वक्ष:स्थल पर सर्प का यज्ञोपवीत है । उनके लंबे से उदर की नाभि चारों ओर से सर्पों से सजी है । वे लाल रंग के पुष्पों से पूजित हैं ।

अलग-अलग ग्रन्थों में भगवान श्रीगणेश के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है । कहीं पर वे चतुर्भुज हैं, कहीं द्विभुज तो कहीं अष्टभुज या छ:भुजाओं वाला बताया गया है । उनका चार हाथों वाला स्वरूप ही ज्यादातर देखने को मिलता है जिनमें उन्होंने पाश, अंकुश, अभय तथा वरमुद्रा धारण की हैं ।

प्रमुख पुराणों के रचियता महर्षि वेदव्यासजी ने चार श्लोकों में भगवान श्रीगणेश की रूप-माधुरी की स्तुति की है । यह श्रीगणेश के पौराणिक रूप का भव्य वर्णन है । यह स्तुति पद्मपुराण के सृष्टिखण्ड (६६।२-३, ६-७) मे वर्णित है ।

महर्षि वेदव्यास कृत श्रीगणेश स्तोत्र (हिन्दी अर्थ सहित)

एकदन्तं महाकायं तप्तकांचनसंनिभम् ।
लम्बोदरं विशालाक्षं वन्देऽहं गणनायकम् ।।

अर्थात्—मैं विशालकाय, तपाये हुए सोने के समान प्रकाश वाले, लम्बोदर, बड़ी-बड़ी आंखों वाले, एकदन्त  श्रीगणनायक की वंदना करता हूँ ।

मुंजकृष्णाजिनधरं नागयज्ञोपवीतिनम् ।
बालेन्दुकलिकामौलिं वन्देऽहं गणनायकम् ।।

अर्थात्—जिन्होंने मौजीमेखला, कृष्ण-मृगचर्म तथा नाग-यज्ञोपवीत धारण कर रखे हैं, जिनके मौलिदेश में बालचन्द्र सुशोभित हो रहा है, मैं उन गणनायक की वंदना करता हूँ ।

चित्ररत्नविचित्रांगं चित्रमालाविभूषणम् ।
कामरूपधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम् ।।

अर्थात्—जिन्होंने अपने शरीर को विविध रत्नों से अलंकृत किया है, अद्भुत माला धारण की है, जो स्वेच्छा से अनेक रूपों में अभिव्यक्त होते हैं, उन गणनायक की वंदना करता हूँ ।

गजवक्त्रं सुरश्रेष्ठं चारुकर्णविभूषितम् ।
पाशांकुशधरं देवं वन्देऽहं गणनायकम् ।।

अर्थात्—जिनका मुख हाथी के मुख के समान है, जो सभी देवों में श्रेष्ठ हैं, सुन्दर कानों से विभूषित हैं, उन पाश और अंकुश धारण करने वाले गणनायक की वंदना करता हूँ ।

भगवान श्रीगणेश के स्तोत्र पाठ की महिमा

▪️ भगवान श्रीगणेश की प्रार्थना और स्मरण से मनुष्य की मेधाशक्ति बढ़ती है ।

▪️ मनुष्य की समस्त कामनाओं की पूर्ति होती है । 

▪️ समस्त विघ्नों और दु:खों का नाश होकर मनुष्य के जीवन में आनंद-मंगल की वृद्धि होती है । 

भगवान श्रीगणेश इतने दयालु हैं कि भक्तों पर कृपा करने के लिए साकार हो जाते हैं; इसलिए दंतकथाओं में सबसे ज्यादा ‘गनेशजी’ की कथा ही प्रचलित है ।

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