घोर संकट व भय का नाश करने वाली देवी दुर्गा की...

एक बार देवताओं ने देवी से कहा—‘जगत के कल्याण के लिए हम आपसे पूछना चाहते हैं कि ऐसा कौन-सा उपाय है, जिससे शीघ्र प्रसन्न होकर आप संकट में पड़े हुए जीव की रक्षा करती हैं ।’

लक्ष्मी जी द्वारा भगवान नारायण का वरण

समुद्र-मंथन से तिरछे नेत्रों वाली, सुन्दरता की खान, पतली कमर वाली, सुवर्ण के समान रंग वाली, क्षीरसमुद्र के समान श्वेत साड़ी पहने...

51 शक्तिपीठों में शिरोमणि : हिंगलाज शक्तिपीठ

ऐसी मान्यता है कि आसाम की कामाख्या, तमिलनाडु की कन्याकुमारी, कांची की कामाक्षी, गुजरात की अम्बादेवी, प्रयाग की ललिता, विंध्याचल की अष्टभुजा, कांगड़ा की ज्वालामुखी, वाराणसी की विशालाक्षी, गया की मंगला देवी, बंगाल की सुंदरी, नेपाल की गुह्येश्वरी और मालवा की कालिका—इन बारह रूपों में आद्या शक्ति मां हिंगलाज सुशोभित हो रही हैं । कहा जाता है कि हर रात सभी शक्तियां यहां मिल कर रास रचाती हैं और दिन निकलते ही हिंगलाज देवी में समा जाती हैं ।

देवी दुर्गा की काव्यमय अर्गला स्तुति

यहां ‘दुर्गा सप्तशती’ का अर्गला स्तोत्र सरल भाषा में काव्य रूप में (पद्यानुवाद) दिया जा रहा है; जिससे देवी के भक्तजन नवरात्रि में और नित्य इसका पाठ कर अभीष्ट फल को प्राप्त कर सकें । अर्गला स्तोत्र के पाठ से मनुष्य का जीवन निर्द्वन्द्व (कलह, क्लेश, शत्रु विहीन) हो जाता है और वह जीवन में समस्त सुखों को प्राप्त करता है ।

नवरात्र में दुर्गा पूजन की विधि

कलश-स्थापन क्यों किया जाता है? कौन-से योग व नक्षत्रों में कलश-स्थापन नहीं करना चाहिए? कैसे करें घट-स्थापना के लिए कलश तैयार? कलश पर नारियल स्थापित करते समय रखें इन बातों का ध्यान, कलश में देवी-देवताओं का आवाहन, देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें ये विशेष उपाय ।

पाद-सेवन भक्ति की आचार्या लक्ष्मीजी

लक्ष्मीजी जिस पर कृपा करती हैं, तो उनका मद दूसरों को हो जाता है, लेकिन स्वयं लक्ष्मीजी को अपने गुणों, ऐश्वर्य, श्री का मद नहीं होता है क्योंकि भगवान नारायण सदैव लक्ष्मी से विरत रहते हैं । जानें, इसकी सुन्दर व्याख्या ।

विष्णुपदी गंगा के 108 नाम व अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र

गंगाजी कभी किसी से कुछ मांगती नहीं, किसी से कुछ लेती नहीं, वह तो बिना भेदभाव के केवल देती ही देती हैं । वह तो अकालमृत्युहरिणी, आरोग्यदायिनी, दीर्घायु:कारिणी, मोक्षदा, रागद्वेषविनाशिनी हैं ।

हरसिद्धि शक्ति पीठ, उज्जैन

मां हरसिद्धि आज भी बहुत सिद्ध मानी जाती हैं । उनकी शरण में जाने पर और मनौती मनाने पर अवश्य ही सबकी मनोकामना पूरी होती है । मां वैष्णवी हैं इसलिए इनकी पूजा में पशु बलि नहीं चढ़ाई जाती है । हरसिद्धि मन्दिर में मां का आशीष सदैव झरता रहता है ।

कलियुग में जाग्रत कामाख्या शक्ति पीठ

कामाख्या देवी योगमाया हैं, उन्हें महामाया भी कहते हैं, क्योंकि वे ज्ञानिजनों की भी चेतना को बलात् आकर्षित करके मोहरूपी गर्त में डाल देती हैं । शिव और शक्ति सदैव एक साथ रहते हैं । कामाख्या शक्ति पीठ के भैरव ‘उमानन्द शिव’ हैं । यहां देवी कामाख्या की पूजा-उपासना तन्त्रोक्त आगम-पद्धति से की जाती है ।

12 प्रमुख देवियों के चित्र (वास्तविक दर्शन)

पराम्बा देवी पार्वती बारह रूपों में इन बारह स्थानों पर विराजमान हैं । देवी के इन पवित्र विग्रहों के दर्शन करने मात्र से मनुष्य सभी पापों से छूट जाता है और यदि वह नित्य प्रात:काल एकाग्र मन से देवी पार्वती के इन बारह विग्रहों का स्मरण करे तो सभी अपराधों से मुक्त हो जाता है ।