घर पर देवी पूजा की सरल विधि

मां को अपने बच्चों से केवल प्रेम चाहिए और कुछ नहीं । अत: इनमें से जो भी वस्तु घर में उपलब्ध हो, अगर वह अपनी श्रद्धा और सामर्थ्यानुसार मां को अर्पित कर दी जाए तो वह उससे भी प्रसन्न हो जाती हैं । इतनी पूजा अगर रोज न कर सकें तो अष्टमी और नवरात्रों में इस पूजा-विधि को अपना सकते हैं ।

मां बगलामुखी और उनकी उपासना विधि

मां पीताम्बरा की उपासना में सभी वस्तुएं पीली होनी चाहिए । जैसे साधना पीले वस्त्र पहनकर की जाती है । पूजा में हल्दी की माला व पीले आसन, पीले पुष्प (गेंदा, कनेर प्रियंगु) और पीले चावल का प्रयोग होता है ।

लक्ष्मीजी के स्वरूप में छिपा संदेश

लक्ष्मीजी के स्वरूप में उनका एक हाथ सदैव धन की वर्षा करता हुआ दिखाई देता है । इसका भाव है कि समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को सदैव सत्कार्यों और परोपकार के लिए मुक्त हस्त से दान देना चाहिए । दान से लक्ष्मीजी संतुष्ट और प्रसन्न होती हैं ।

शरत्पूर्णिमा पर महालक्ष्मी को करें इन नामों से प्रसन्न

देवी कमला बहुत उदार, दयामयी, यश और त्रिलोकी का वैभव देने वाली हैं । नाम-स्मरण से ही प्रसन्न होकर वे साधक को कुबेर के समान धन-सम्पत्ति (धन-धान्य, गाय, घोड़े, पुत्र, बन्धु-बांधव, दास-दासी) प्रदान करती हैं ।

भोग और मोक्ष देने वाली है श्रीविद्या

श्रीविद्या को प्राप्त करने वाले शिवयोगी ब्रह्मानन्द का पान करके इतने मस्त हो जाते हैं कि स्वर्ग के अधिपति इन्द्र को भी अपने से कंगाल समझते है फिर उनके लिए पृथ्वी के राजाओं की तो कोई औकात ही नहीं रहती है । निर्धन रहने पर भी वह सदा संतुष्ट रहता है, असहाय होने पर भी महाबलशाली होता है, उपवासी होने पर भी सदैव तृप्त रहता है । ब्रह्मविद्या के प्रभाव से ऐसा जीवन्मुक्त होकर वह ब्रह्म को ही प्राप्त हो जाता है ।

दस महाविद्याओं की आराधना का पर्व है गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या की साधना से साधक की आंतरिक शक्तियों का जागरण होता है । साथ ही हर कार्य में विजय, धन-धान्य, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति और पुत्र प्राप्ति के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है । इसके अतिरिक्त दस महाविद्या की कृपा से मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, स्तम्भन आदि प्रयोग सिद्ध होते हैं ।

नवरात्र में मां जगदम्बा को किस दिन लगाएं कौन सा भोग

श्रीदेवीभागवतपुराण में मां जगदम्बा को प्रसन्न करने के लिए देवी पक्ष (चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से पूर्णिमा तक) में प्रतिदिन मां के अलग-अलग भोग बताए गए हैं और उन्हें दान करने का निर्देश है ।

देवी मंगलचण्डिका का मन्त्र व स्तोत्रपाठ करता है सर्वमंगल

दुर्गा को चण्डी कहते हैं और पृथ्वी के पुत्र का नाम मंगल है; अत: जो मंगलग्रह की आराध्या हैं, उन्हें मंगलचण्डिका कहते हैं ।

रात्रि में सोते समय करें यह उपाय, जाग्रत होंगी आन्तरिक शक्तियां

इस प्रयोग का विलक्षण प्रभाव यह होगा कि मां जगदम्बा तुमसे प्रेम करेंगी, तुम उन्हें भूल भी जाओ पर वे तुम्हें कभी नहीं भूलेंगी; क्योंकि पुत्र चाहें कुपुत्र क्यों न हो, माता कभी कुमाता नहीं होती है।

करुणामयी मां शताक्षी (शाकम्भरी)

पुत्र कष्ट में हों तो मां कैसे सहन कर सकती है? फिर देवी तो जगन्माता हैं, उनके कारुण्य की क्या सीमा? त्रिलोकी की ऐसी व्याकुलता देखकर मां के अंत:स्तल में उठने वाला करुणा का आवेग अकुलाहट के साथ आंसू की धारा बनकर बह निकला। नीली-नीली कमल जैसी दिव्य आंखों में मां की ममता आंसू बनकर उमड़ आयी। दो आंखों से हृदय का दु:ख कैसे प्रकट होता? जगदम्बा ने कमल-सी कोमल सैंकड़ों आंखें बना लीं। सैंकड़ों आंखों से करुणा के आंसुओं की अजस्त्र धारा बह निकली।। इसी रूप में माता ने सबको अपने दर्शन कराए और जगत में ‘शताक्षी’ (शत अक्षी) कहलाईं। करुणार्द्र-हृदया मां व्याकुल होकर लगातार नौ दिन और नौ रात तक रोती रहीं।