कलियुग में समस्त कामनाओं को सिद्ध करने वाला ‘दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्रमन्त्र’

भगवान शिव ने देवी से कहा—कलियुग में सभी कामनाओं को सिद्धि हेतु यदि कोई उपाय हो तो उसे बताइये । इस पर देवी ने कहा—‘कलियुग में सभी कामनाओं को सिद्ध करने वाला सर्वश्रेष्ठ साधन है ‘अम्बास्तुति’ ।

दक्षिण काशी की अधीश्वरी देवी : महालक्ष्मी अंबाबाई

महालक्ष्मी मन्दिर जिसे लोग अंबाबाई मन्दिर भी कहते हैं, 51 शक्तिपीठों में से एक हैं । सती के तीनों नेत्र यहीं गिरे थे । यहां की शक्ति महिषमर्दिनी और भैरव क्रोधीश हैं । महालक्ष्मी मन्दिर ही महिषमर्दिनी का स्थान है ।

लक्ष्मीजी ने गोमय को क्यों चुना अपना निवास-स्थान ?

भगवान श्रीकृष्ण को भी आश्चर्य होता था कि सभी प्रकार के ऐश्वर्य, ज्ञान, बल, ऋषि-मुनि, भक्त, राजागण व देवी-देवताओं का सर्वस्व समर्पण–ये सब मेरे पास एक ही साथ कैसे आ गए ? शायद ये मेरी गोसेवा का ही परिणाम है ।

मां सरस्वती के विद्या-प्रदायक 12 नाम

मां सरस्वती के इन चमत्कारी सिद्ध 12 नामों के नित्य तीन बार पाठ करने से मनुष्य की जिह्वा के अग्र भाग पर सरस्वती विराजमान हो जाती है अर्थात् जो भी बात वह कहता है वह पूरी हो जाती है । महर्षि, वाल्मीकि, व्यास, वशिष्ठ, विश्वामित्र और शौनक आदि ऋषि सरस्वतीजी की साधना से ही सिद्ध हुए ।

देवी भुवनेश्वरी का अद्भुत रूप : माता भ्रामरी

माता भ्रामरी ने अपने हाथ के और चारों तरफ के भ्रमरों को प्रेरित किया और वे असंख्य भ्रमर ‘ह्रीं-ह्रीं’ करते हुए अरुण दानव की ओर उड़ चले । उन काले-काले भ्रमरों से सूर्य छिप गया और चारों तरफ अंधकार छा गया । वे भ्रमर अरुण दानव और उसकी दैत्य सेना के शरीर से चिपक कर उसे काटने लगे । दानव असीम वेदना से छटपटाने लगे और जो जहां था, वहीं गिरकर मर गया ।

देवी दुर्गा के सोलह नाम और उनका अर्थ

सबसे पहले परमात्मा श्रीकृष्ण ने सृष्टि के आदिकाल में गोलोक स्थित वृन्दावन के रासमण्डल में देवी की पूजा की थी । दूसरी बार भगवान विष्णु के सो जाने पर मधु और कैटभ से भय होने पर ब्रह्माजी ने उनकी पूजा की। तीसरी बार त्रिपुर दैत्य से युद्ध के समय महादेवजी ने देवी की पूजा की । चौथी बार दुर्वासा के शाप से जब देवराज इन्द्र राजलक्ष्मी से वंचित हो गए तब उन्होंने देवी की आराधना की थी । तब से मुनियों, सिद्धों, देवताओं तथा महर्षियों द्वारा संसार में सब जगह देवी की पूजा होने लगी।

क्या है देवी दुर्गा के विभिन्न प्रतीकों का रहस्य ?

जब-जब लोक में दानवी बाधा उपस्थित हो जाती है, चारों ओर अनीति, अत्याचार फैल जाता है, तब-तब देवी पराम्बा विभिन्न नाम व रूप धारण कर प्रकट होती हैं और समाज विरोधी तत्वों का नाश करती हैं ।

देवी की पूजा में ज्योति क्यों जगायी जाती है ?

देवी की पूजा—अष्टमी, नवरात्र व जागरण आदि में माता के ज्योति अवतार के रूप में ज्योति जगायी जाती है और देवी की प्रतीक ज्योति में लोंग का जोड़ा, बताशा, नारियल की गिरी, घी, हलुआ-पूरी आदि का भोग लगाया जाता है ।

सर्पभय और सर्पविष से मुक्ति देने वाली देवी मनसा

जिस भवन, घर या स्थान पर सर्प रहते हों वहां इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य सर्पभय से मुक्त हो जाता है । जो मनुष्य इस स्तोत्र को नित्य पढ़ता है उसे देखकर नाग भाग जाते हैं । दस लाख पाठ करने से यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है । जिस मनुष्य को यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है उस पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह नागों को आभूषण बनाकर धारण कर सकता है ।

मां दुर्गा का सर्वश्रेष्ठ मन्त्र : नवार्ण मन्त्र

मां दुर्गा के तीन चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मन्त्र का निर्माण हुआ है। नवार्ण मन्त्र मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष के समान है। यह मन्त्र उपासकों को आनन्द और ब्रह्मसायुज्य देने वाला है। अत: नवार्ण मन्त्र के जाप करने से ही दुर्गा के तीनों स्वरूपों को प्रसन्न कर मनोवांछित फल प्राप्त किए जा सकते हैं।