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श्रीराधा-कृष्ण का अनुपम प्रेम
राधारानी ने ललिता सखी से कहा—‘सखी ! यदि श्रीकृष्ण के हृदय में करुणा नहीं है तो इसमें तुम्हारा तो कोई दोष नहीं है । अब जो मैं कहती हूँ सो तुम करो । थोड़ी देर में जब मेरे शरीर से प्राण निकल जायें, तब तुम मेरी अन्त्येष्टि-क्रिया इस प्रकार करना । मेरे इस शरीर को तमाल वृक्ष से सटाकर बांध देना और उसकी डाल में मेरे दोनों हाथ लटका देना जिससे जीवित अवस्था में न सही, मरने के बाद इस शरीर को श्रीकृष्ण का आलिंगन मिलता रहे ।’
श्रीराधा के 108 नाम
श्रीराधा वास्तव में कोई एक मानवी स्त्री नहीं हैं । वे भगवान श्रीकृष्ण की आह्लादिनी शक्ति हैं, इसीलिए उनका नाम सुनने के लिए श्रीकृष्ण नाम लेने वाले के पीछे-पीछे चलने लगते हैं । श्रीराधा नाम की इतनी महिमा जानने के बाद यदि उनके 108 नाम का पाठ कर लिया जाए तो उसका कितना फल होगा, बताया नहीं जा सकता । इसीलिए इस पोस्ट में श्रीराधा के 108 नाम दिए गए हैं ।
श्रीकृष्ण-कृपा प्राप्ति के लिए पढ़े श्रीराधा चालीसा
श्रीराधा की स्तुति में गाई जाने वाली श्रीराधा चालीसा के पठन से श्रीराधा साधक को अपने चरणकमलों की भक्ति प्रदान करती हैं, साथ ही श्रीकृष्ण भी अपना कृपाकटाक्ष साधक पर बरसा देते हैं । साथ ही साधक को व्रज-वृन्दावन में निवास का वर देते हैं ।
श्रीराधा की नाममाला में गूंथा है ‘आनन्दचन्द्रिका’ स्तोत्र
श्रीरूपगोस्वामीजी ने श्रीराधा के दस नामों की माला पिरोकर ‘आनन्दचन्द्रिका’ नामक स्तवराज (स्तोत्रों का राजा) लिखा जो भक्तों के समस्त क्लेशों दूर करने वाला और परम सौभाग्य देने वाला है ।
श्रीकृष्ण की आराधिका श्रीराधा
भगवान प्रेम के भूखे हैं । उनकी एक से दो होने की इच्छा हुई इसलिए भगवान प्रेम-लीला के लिए श्रीराधा और श्रीकृष्ण के रूप में दो हो जाते हैं । वास्तव में श्रीराधा श्रीकृष्ण से अलग नहीं होतीं, श्रीकृष्ण ही प्रेम की वृद्धि के लिए श्रीराधा को अलग करते हैं । दोनों में कोई-छोटा-बड़ा नहीं है । दोनों ही एक-दूसरे के इष्ट और एक-दूसरे के भक्त हैं ।
श्रीराधा ने अपने प्रिय भक्त के लिए जब खीर बनाई
जब भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम की लालसा सभी भोगों और वासनाओं को समाप्त कर प्रबल हो जाती है, तभी साधक का व्रज में प्रवेश होता है । यह व्रज भौतिक व्रज नहीं वरन् इसका निर्माण भगवान के दिव्य प्रेम से होता है ।
श्रीराधा के कृष्णमय बत्तीस नाम
श्रीराधा श्रीकृष्ण की आत्मा हैं तो श्रीकृष्ण उनके जीवनधन हैं। भाई हनुमानप्रसादजी पोद्दार ने श्रीराधा के कृष्णमय नामों का वर्णन किया है जिनसे श्रीराधा के कृष्णमय भाव-स्वरूप का बोध होता है |
भगवान श्रीकृष्ण की वंशी का अवतार श्रीहित हरिवंशजी गोस्वामी
श्रीहित हरिवंशजी की उपासना पद्धति में श्रीराधाजी की प्रधानता है और ये श्रीराधाकृष्ण की निकुंज लीला में अपने को एक सखी मान कर उनकी सेवा करते थे । श्रीराधा ने इन्हें दर्शन देकर अपनी सेवा-पद्धति और मन्त्र का उपदेश दिया और अपना शिष्य बना लिया ।
भगवान श्रीकृष्ण का मुक्ताचरित्र
श्रीकृष्ण की भगवत्ता का परीक्षण, खेतों में मोती उपजना और श्रीकृष्ण द्वारा मोतियों का ढेर वृषभानुजी के यहां भेजना
श्रीराधा कृष्ण की युगल उपासना स्तोत्र : युगलकिशोराष्टक
हिन्दी अर्थ सहित --
नवजलधर विद्युद्धौतवर्णौ प्रसन्नौ,
वदननयन पद्मौ चारूचन्द्रावतंसौ ।
अलकतिलक भालौ केशवेशप्रफुल्लौ,
भज भजतु मनो रे राधिकाकृष्णचन्द्रौ ।।१।।