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स्त्रियां अपने मन में कोई बात क्यों नहीं छिपा पाती हैं...

एक प्रसिद्ध कहावत है कि ‘स्त्रियों के पेट में कोई बात नहीं पचती है ।’ यह केवल कहावत नहीं है वरन् सच्चाई है जिसका वर्णन महाभारत के शान्तिपर्व में है ।

भगवान के अनेक नाम क्यों होते हैं ?

जानें, परमात्मा के परम प्रभावशाली 11 नाम जिनके जप से मनुष्य कोटि जन्मों के पापों से मुक्त हो जाता है ।

श्रीराधा के कृष्णमय बत्तीस नाम

श्रीराधा श्रीकृष्ण की आत्मा हैं तो श्रीकृष्ण उनके जीवनधन हैं। भाई हनुमानप्रसादजी पोद्दार ने श्रीराधा के कृष्णमय नामों का वर्णन किया है जिनसे श्रीराधा के कृष्णमय भाव-स्वरूप का बोध होता है |

भक्ति की शक्ति : जब भगवान ने की भक्त की सेवा

‘बड़ी मां ! बड़ी मां !’ बाहर से किसी ने आवाज दी । गोपीबाई की नींद खुल गई । उन्होंने लेटे-लेटे ही पूछा—‘कौन है ?’ बाहर से आवाज आई ‘मैं श्याम हूँ ।’ गोपीबाई ने कहा—‘किवाड़ खुले पड़े हैं, अन्दर आ जाओ ।’

कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए पढ़ें कालिय-नाग दमन लीला

भगवान ने कालिय नाग से कहा—‘मैंने तुम्हारे सिर पर अपने चरणों की मुहर लगा दी है, अब तुम वैष्णव हो गए और मेरे नित्य पार्षदों में शामिल हो गए हो । तुम्हारी और गरुड़जी की जो दुश्मनी थी वह मेरे चरण-चिह्न अंकित होने से समाप्त हो गयी है ।’

भगवान श्रीकृष्ण और माया

माया महा ठगनी हम जानी । तिरगुन फांस लिए कर डोले, बोले मधुरे बानी ।। केसव के कमला वे बैठी, शिव के भवन भवानी । पंडा के...

नित्य पाठ के लिए भगवान श्रीकृष्ण का षोडशी स्तोत्र

जय जय श्रीराधारमण, मंगल करन कृपाल, लकुट मुकुट मुरली धरन मनमोहन गोपाल । हे वसुदेवकुमार देवकीनंदन प्यारे, गोकुल में नन्दलाल बाललीला विस्तारे।

5 Bhajan Janmashtmi pe sunne ke liye

Nand Gher Anand Bhayo(Original)- Hemant Chauhan-Shrinathji Bhajan-Nathdwara-2016

‘श्रीकृष्ण’ नाम का माधुर्य एवं विभिन्न कार्यों को करते समय भगवान...

’जब कृष्ण नाम जिह्वा पर नृत्य करता है तब बहुत-सी जिह्वाएं प्राप्त करने की तृष्णा बढ़ती है, जब श्रवणेन्द्रिय (कानों) में प्रवेश करता है तो अरबों कर्ण-प्राप्ति की लालसा होती है। मन के प्रांगण में नाममाधुरी के प्रवेश करने पर शेष सब इन्द्रियां उसके वश में हो जाती हैं। न जाने, ‘कृष्ण’ इन ढाई वर्णों में कितना अमृत भरा है।’

भगवान श्रीकृष्ण के वेणुनाद का माधुर्य

वंशी की इस उन्मादक स्वर-लहरी के स्पर्श से अपने को कौन नहीं भूल जाता? इसी के द्वारा सारे जगत का चुम्बन कर श्रीकृष्ण एक गुदगुदी उत्पन्न किया करते हैं, प्राणियों के सोये हुए प्रेम को जगाया करते हैं। श्रीकृष्ण जब वंशी में रस भरते हैं, उस समय ऊपर आकाश का दृश्य भी देखने-योग्य होता है। यह ध्वनि केवल वृन्दावन को ही झंकृत करके नहीं रह गई अपितु अंतरिक्ष को भेदते हुए इसने वैकुण्ठ को आत्मसात कर लिया और पाताल को प्रकम्पित करती हुई नीचे चली गई। समस्त ब्रह्माण्ड का भेदन करती हुई यह वेणुध्वनि सब जगह व्याप्त हो गई।