अमावस्या और पूर्णिमा ये दोनों पर्वतिथियां हैं । इन दोनों तिथियों में चन्द्रमा का विशेष प्रभाव पृथ्वी पर होता है जिससे पृथ्वी पर रहने वाले जीवों के शरीर व मन दोनों ही अस्वस्थ और चंचल हो सकते हैं । इससे बचने के लिए इन दोनों तिथियों में दान-पुण्य, जप, तप, व्रत और देवपूजन करने का बहुत फल माना गया है ।
अमावस्या यदि सोमवार, मंगलवार, गुरुवार या शनिवार को हो तो ऐसे योग में दान-पुण्य, ब्राह्मण-भोजन और व्रत से सूर्य ग्रहण के समान फल प्राप्त होता है—
‘अमा सोमे शनौ भौमे गुरुवारे यदा भवेत्।
तत्पर्वं पुष्करं नाम सूर्यपर्वशताधिकम्।।
भगवान शिव की अपार ऊर्जा से भरी है सोमवती अमावस्या
भगवान शिव को प्रिय सोमवार के दिन यदि अमावस्या हो तो उसे ‘सोमवती अमावस्या’ या ‘सोमोती मावस’ कहते हैं । इस दिन किए गए छोटे-छोटे पुण्य-कार्यों से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है और मनुष्य का भाग्योदय होकर दु:ख के बादल सुख की वर्षा में बदल जाते हैं ।
अक्षय फल देने वाली सोमवती अमावस्या पर करें ये छोटे-छोटे उपाय
▪️इस दिन गंगा, यमुना या अन्य किसी पवित्र नदी में प्रात: स्नान करने का बहुत अधिक महत्व है ।
▪️स्नान के बाद सामर्थ्य के अनुसार अन्न, वस्त्र, सोना, चांदी, गाय, ऋतुफल और धन आदि का दान करना चाहिए ।
▪️अमावस्या तिथि यदि सोमवार के दिन हो तो वह शिव की अपार करुणा, कृपा और ईश्वरीय ऊर्जा से भर जाती है । इस दिन मस्तक पर चन्द्र धारण करने वाले भगवान शिवजी की पूजा-उपासना करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है और कुण्डली का चन्द्रमा बलवान हो जाता है । सोमवती अमावस्या पर शिवकृपा से आर्थिक संकटों से मुक्ति के साथ सुख-समृद्धि आती है ।
▪️इस दिन अपने इष्ट—सीता-राम, राधा-कृष्ण या लक्ष्मी-नारायन की पूजा करनी चाहिए ।
▪️इस दिन तुलसी की पूजा कर 108 परिक्रमा करने से दरिद्रता दूर होती है ।
▪️सोमवती अमावस्या के दिन पीपल की जड़ में जल व फूल चढ़ाएं, दीपक जलाएं । पीपल की 108 परिक्रमा करने से सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है । पीपल की पूजा का मन्त्र है—
अश्वत्थ: सर्ववृक्षाणां राजा ब्राह्मणवर्णक: ।
अश्वत्थ: पूजितो येन सर्वं सम्पूजितं भवेत् ।।
इस मन्त्र का भावार्थ है—गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि ‘वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ’ । अत: सभी वृक्षों का राजा पीपल है । पीपल की पूजा से सभी देवताओं की पूजा हो जाती है ।
▪️तुलसी या पीपल की परिक्रमा के समय प्रत्येक परिक्रमा के बाद कुछ-न-कुछ चीज अवश्य चढाएं—जैसे मूंगफली, मखाना, बादाम, अंगूर या जो भी अपनी श्रद्धा व सामर्थ्य हो । 108 परिक्रमा के बाद सारे चढ़ावे को ब्राह्मण को दे दें । ऐसा करने से प्रत्येक प्रकार के पाप, कष्ट और संकट मिट जाते हैं और सब प्रकार के सुख अपने-आप मनुष्य को प्राप्त हो जाते हैं ।
▪️सुखद वैवाहिक जीवन की कामना के लिए तुलसीजी व पार्वतीजी को सिंदूर अर्पित करें और उसी सिंदूर को अपनी मांग में लगाकर प्रार्थना करें—‘हे मां ! मुझे भी अपनी तरह सुखद वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद दीजिए ।’
▪️सोमवती अमावस्या के पुण्य की प्राप्ति के लिए इस दिन कोई भी 13 वस्तुएं लें और भगवान के नाम का संकल्प लेकर ब्राह्मण को दान स्वरूप दे दें ।
▪️पितरों का आभार व्यक्त करने के लिए अमावस्या का दिन बहुत शुभ होता है । जिन लोगों पर पितृ दोष होता है वह सुख-शान्ति से वंचित रहते हैं । सोमवती अमावस्या को किए गए पूजा-पाठ, श्राद्ध व तर्पण से पितर तृप्त होकर अपनी अनुकम्पा बरसाते हैं । मनुष्य को पितृदोष से मुक्ति मिल जाती है और मनुष्य का जीवन धन-समृद्धि व पुत्र-पौत्र सम्पन्न हो जाता है ।
▪️ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या शनि जयंती है, इस दिन सोमवती अमावस्या भी है । अत: इस दिन किए गए पुण्य कर्मों से शनिदेव की कृपा भी प्राप्त होगी ।
▪️इस दिन कुछ विशेष उपाय जैसे—पक्षियों को दाना-पानी देना, गरीबों को भोजन-मिठाई बांटना व गोमाता को चारा देना आदि पुण्यकर्म करने का भी बहुत महत्व है ।
सोमवती अमावस्या के व्रत-पूजन से मिलता है सुखद दाम्पत्य जीवन का वरदान
सोमवती अमावस्या की कथा का सार है कि एक साहूकार के सात पुत्र व पुत्रवधुएं और एक पुत्री थी । उनके यहां एक भिखारी भिक्षा लेने आता था । वह बहुओं के हाथ से भिक्षा ले लेता था परन्तु पुत्री के हाथ से भिक्षा नहीं लेता था । साहूकारनी ने जब इसका कारण भिखारी से पूछा तो उसने बताया कि तेरी पुत्री विवाह के समय ही विधवा हो जाएगी ।
साहूकारनी ने जब इस विपत्ति को टालने का उपाय पूछा तो भिखारी ने उसे सोना नाम की धोबन की सेवा करने की बात कही जो सोमवती अमावस्या का व्रत-पूजन करती थी । साहूकारनी रोज सुबह अंधेरे में ही सोना के घर-आंगन की सफाई कर आती । एक दिन सोना ने उसे देख लिया और उससे ऐसा करने का कारण पूछा तब साहूकारनी ने सारी बात बताते हुए कहा—‘मेरी लड़की के भाग्य में सुहाग का सुख नहीं है । अगर तुम उसे अपना सोमवती अमावस के व्रत का फल दे दो तो उसे सुहाग मिल जायेगा ।’ सोना धोबन इस बात के लिए राजी हो गयी ।
जब साहूकारनी की पुत्री के विवाह के समय सर्प ने वर को डस लिया तब सोना धोबन ने संकल्प लेकर अपने सोमवती अमावस्या के पुण्य को वर को दे दिया जिससे वह जीवित हो गया । इससे चारों तरफ खुशी की लहर दौड़ गयी ।
ऐसा है सोमवती अमावस्या के व्रत-पूजन और दान का पुण्यफल ।