भगवान शिव की पूजा के पुष्प
भगवान शिव पर फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है । बिल्व पत्र और धतूरा भगवान शिव को विशेष प्रिय हैं । बिल्व पत्र समर्पित करते ही शिव पूजा पूरी और सफल हो जाती है ।
शिवजी के प्रिय पुष्प हैं—अगस्त्य, गुलाब (पाटला), मौलसिरी, कुशपुष्प, शंखपुष्पी, नागचम्पा, नागकेसर, जयन्ती, बेला, जपाकुसुम (अड़हुल), बंधूक, कनेर, निर्गुण्डी, हारसिंगार, आक, मन्दार, द्रोणपुष्प (गूमा), नीलकमल, कमल, शमी का फूल आदि । जो-जो पुष्प भगवान विष्णु को पसन्द है, उनमें केवल केतकी व केवड़े को छोड़कर सब शंकरजी पर भी चढ़ाए जाते हैं । भगवान शिव की पूजा में केतकी और केवड़े के पुष्पों का निषेध है। चम्पा के पुष्पों से शिव पूजन केवल भाद्रपदमास में किया जाता है ।
शिव सहस्त्रनाम या शिव अष्टोत्तरशतनाम के एक-एक नाम को बोलते हुए शिवजी पर पुष्प या बेल पत्र चढ़ाये जाते हैं । शिव पुराण में मनोकामना सिद्धि के लिए एक लाख पुष्पों द्वारा शिव पूजा का विधान है किन्तु आज के युग में इतने पुष्प एक साथ न मिलने से १००८ या १०८ पुष्पों द्वारा शिव पूजन किया जा सकता है ।
- कमल, बिल्वपत्र, शंखपुष्पों से शिवजी का पूजन करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। यदि एक लाख पुष्पों से शिवजी का पूजन किया जाए तो सारे पाप नष्ट हो जाते हैं । इतने पुष्प न हों तो एक सौ आठ पुष्प से भी पूजन किया जा सकता है ।
- भगवान शिव को कमल कितने प्रिय हैं इससे सम्बन्धित एक कथा पुराणों में मिलती है । देवताओं के कष्ट दूर करने के लिए भगवान विष्णु प्रतिदिन शिव सहस्त्रनाम के पाठ से शिवजी को एक सहस्त्र कमल चढ़ाते थे । एक दिन भगवान शिव ने उनकी भक्ति की परीक्षा करने के लिए एक कमल छुपा दिया । एक कमल कम होने पर भगवान विष्णु ने अपना एक कमल-नेत्र शिवजी के चरणों में अर्पित कर दिया । यह देखकर भगवान विष्णु अत्यन्त प्रसन्न हुए और दैत्यों के विनाश के लिए उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया ।
- भाद्रपदमास में कदम्ब और चम्पा से शिवपूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं ।
- भगवान शिव पर बेला के फूल चढ़ाने से सुन्दर व सुशील पत्नी प्राप्त होती है ।
- मुक्ति की कामना करने वाले मनुष्य को कुशा से शिवजी का पूजन करना चाहिए ।
- पुत्र की इच्छा रखने वाले मनुष्य को लाल डंठल वाले धतूरे से शिवजी का पूजन करना चाहिए ।
- यश प्राप्ति के लिए अगस्त्य के फूलों से शिव पूजन करना चाहिए ।
- तुलसीपत्र और मंजरियों से शिवजी की अर्चना करने से भोग और मोक्ष दोनों ही प्राप्त होते हैं ।
- लाल और सफेद आक, अपामार्ग और श्वेत कमल के फूलों से शिवपूजन से मनुष्य भोग और मोक्ष प्राप्त करता है ।
- काम-क्रोधादि के नाश के लिए मनुष्य को भगवान शिव की जपाकुसुम (अड़हुल) के पुष्पों से पूजा करनी चाहिए ।
- रोग नाश और उच्चाटन आदि के लिए कनेर के फूलों से शिव पूजन करना चाहिए ।
- बन्धूक (दुपहरिया) के पुष्पों से पूजा करने पर मनुष्य को आभूषणों की प्राप्ति होती है ।
- चमेली के पुष्पों से शिव पूजन से वाहन की प्राप्ति होती है ।
- अलसी के फूलों से महादेवजी का पूजन करने वाला मनुष्य भगवान विष्णु को प्रिय होता है ।
- शमी पत्रों से पूजन अनेक प्रकार के सुख व मोक्ष देने वाला है ।
- जूही के फूलों से पूजा की जाए तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती ।
- सुन्दर नए वस्त्र व सम्पत्ति की कामना पूर्ति के लिए कर्णिकार (कनेर) के फूलों से भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए ।
- निर्गुण्डी के पुष्पों से शिव पूजन करने से मन पवित्र व निर्मल हो जाता है ।
- बिल्व पत्रों के पूजन करने से भगवान शिव समस्त मनोकामना पूर्ण करते हैं ।
- हरसिंगार के पुष्पों से पूजन करने पर सुख-सम्पत्ति की वृद्धि होती है ।
- ऋतु अनुसार पुष्पों से शिवपूजन करने से संसार के आवागमन से मनुष्य मुक्त हो जाता है ।
- राई के फूलों से शिवजी की पूजा से शत्रुओं का नाश होता है ।
- आयु की इच्छावाला पुरुष एक लाख दूर्वाओं से शिवजी का पूजन करे ।
भगवान शिव का पुष्पार्चन करते समय यह ध्यान रखें कि पुष्प स्वयं के पैसे से खरीदे गए हों, दूसरों के बगीचे से बगैर पूछे तोड़े गए पुष्पों से शिव पूजा सफल नहीं होती है । स्वयं भगवान शिव ने पुष्पदंत गंधर्व से कहा–’अपने आराध्य की स्तुति अपने श्रम से प्राप्त पदार्थ से करनी चाहिए । चोरी के पुष्पों से की गयी मेरी अर्चना मुझे पसन्द नहीं आती है ।’