adi shankaracharya

जगद्गुरु आदि शंकराचार्य भगवान शंकर के साक्षात् अवतार माने जाते हैं । इनके द्वारा रचित ग्रन्थों की लम्बी सूची है । सभी देशों के विचारकों और दार्शनिकों ने इनके सामने सिर झुकाया है । इनके द्वारा मनुष्य के कल्याण के लिए कुछ अनमोल जीवन-सूत्र बताए गए हैं जो कि इस प्रकार हैं–

▪️प्रत्यक्ष देवता कौन है ?
माता ।

▪️पूज्य और गुरु कौन है ?
पिता ।

▪️समस्त वेदों में प्रधान क्या है ?
ओंकार ।

▪️नरक क्या है ?
परवशता ।

▪️स्वर्ग क्या है ?
तृष्णा (कामना) का क्षय (न होना) ।

▪️सत्य क्या है ?
ब्रह्म ।

▪️सुख क्या है ?
सभी प्रकार के संग (मोह) का त्याग ।

▪️दरिद्र कौन है ?
जिसकी तृष्णा बढ़ी हुई है ।

▪️वीरों में वीर महावीर कौन है ?
जो काम-वासना से पीड़ित नहीं है ।

▪️सदा दु:खी कौन है ?
विषयानुरागी (भोगों को चाहने वाला) ।

▪️धन्य कौन है ?
परोपकारी ।

▪️अंधा कौन है ?
जो अकर्तव्य (न करने योग्य काम) में लगा है और कामातुर प्राणी ।

▪️बहरा कौन है ?
जो हित की बात नहीं सुनता है ।

▪️गूंगा कौन है ?
जो समय पर प्रिय और हितकारी वचन नहीं बोलता है ।

▪️डाकू कौन है ?
विषय-भोग ।

▪️मनुष्य का ज्वर क्या है ?
चिन्ता ।

▪️जगत को किसने जीता है ?
जिसने मन को जीता है ।

▪️मरते समय क्या चुभता है ?
गुप्त पाप ।

▪️सदा क्या सुनना चाहिए ?
गुरु का उपदेश और वेद-वाक्य ।

▪️परम तीर्थ क्या है ?
अपना शुद्ध मन ।

▪️लंबा रोग क्या है ?
भव रोग ।

▪️मनुष्य का सबसे सुन्दर आभूषण क्या है ?
सच्चरित्रता ।

▪️पवित्र कौन है ?
जिसका मन पवित्र है ?

▪️पंडित कौन है ?
विवेकी मनुष्य ।

▪️शत्रु कौन है ?
परिश्रम का अभाव अर्थात् अकर्मण्यता ।

▪️विष क्या है ?
गुरुजनों व बड़ों का अपमान करना ।

▪️फाँसी क्या है ?
ममता और अभिमान ।

▪️मृत्यु क्या है ?
अपना अपयश ।

▪️ब्रह्म की प्राप्ति के उपाय क्या हैं ?
सत्संग, दान, विचार और संतोष ।

▪️सुखदायक क्या है ?
सज्जनों की मित्रता ।

▪️प्राणियों के प्रिय क्या हैं ?
प्राण ।

▪️शोचनीय क्या है ?
धन होने पर भी कृपणता (कंजूसी) ।

▪️प्रशंसनीय क्या है ?
उदारता ।

▪️पूजनीय कौन है ?
सदैव विनयी व्यक्ति ।

▪️अधम कौन है ?
चरित्रहीन ।

▪️किसका जन्म सार्थक है ?
जिसका फिर जन्म न हो ।

▪️अमर कौन है ?
जिसकी फिर मृत्यु न हो ।

▪️भव-मार्ग का पाथेय क्या है अर्थात् अंत समय में क्या साथ जाता है ?
धर्म ।

▪️मृत्यु समीप होने पर बुद्धिमान पुरुष को क्या करना चाहिए ?
तन-मन-वचन के द्वारा यम के भय को दूर करने वाले सुखदायक श्रीहरि के चरणकमलों का चिंतन ।

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