श्रीचैतन्य महाप्रभुजी के अनुयायी और ‘गौड़ीय सम्प्रदाय’ के आचार्य श्रीरूपगोस्वामीजी ने श्रीराधा के दस नामों की माला पिरोकर ‘आनन्दचन्द्रिका’ नामक स्तवराज (स्तोत्रों का राजा) लिखा । यह स्तवराज इस प्रकार है—
श्रीरूपगोस्वामी द्वारा रचित ‘आनन्दचन्द्रिका’ नामक स्तवराज
राधा दामोदरप्रेष्ठा राधिका वार्षभानवी ।
समस्तवल्लवीवृन्दधम्मिल्लोत्तंसमल्लिका ।। १ ।।
कृष्णप्रियावलीमुख्या गान्धर्वा ललितासखी ।
विशाखासख्यसुखिनी हरिहृद् भृंगमंजरी ।। २।।
इमां वृन्दावनेश्वर्या दशनाममनोरमाम् ।
आनन्दचन्द्रिकां नाम यो रहस्यां स्तुतिं पठेत् ।। ३ ।।
स क्लेशरहितो भूत्वा भूरिसौभाग्यभूषित: ।
त्वरितं करुणापात्रं राधामाधवयोर्भवेत् ।। ४ ।।
श्रीराधा के दस नाम (हिन्दी अर्थ सहित)
- राधा—श्रीकृष्ण जिनकी आराधना करते हैं या मुक्ति देने वाली ।
- दामोदरप्रेष्ठा—दामोदर श्रीकृष्ण की प्रियतमा ।
- राधिका—श्रीकृष्ण की सदा आराधना करने वाली ।
- वार्षभानवी—वृषभानु की पुत्री ।
- समस्तवल्लवीवृन्दधम्मिल्लोत्तंसमल्लिका—सभी गोपांगनाओं के केशपाश को अंलकृत करने वाली मल्लिका अर्थात् सभी गोपसुन्दरियों में सर्वश्रेष्ठ ।
- कृष्णप्रियावलीमुख्या—श्रीकृष्ण की प्रियतमाओं में प्रमुख ।
- गान्धर्वा—संगीत आदि कलाओं में निपुण ।
- ललितासखी—ललितासखी के साथ विराजने वाली ।
- विशाखासख्यसुखिनी—विशाखासखी के सखी भाव से सुखी होने वाली ।
- हरिहृद् भृंगमंजरी—श्रीकृष्ण के मनरूपी भौंरे के आश्रय के लिए पुष्पमंजरीरूपा ।
स्तोत्र पाठ का फल
जो व्यक्ति श्रीवृन्दावन की अधीश्वरी श्रीराधा की दस नाम वाली इस गोपनीय स्तुति का नित्य एकाग्रचित्त होकर मन से पाठ करता है उसके—
- समस्त क्लेश दूर हो जाते हैं ।
- वह सभी प्रकार के सुख-सौभाग्य से सम्पन्न हो जाता है ।
- मनुष्य को श्रीराधाकृष्ण की कृपा प्राप्त हो दाती है ।