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चर्पट पंजरिका स्तोत्र

माता-पिता, भाई-बंधु, स्त्री-पुत्र, अपना शरीर, धन, मकान, मित्र और परिवार ये सब ममता के कच्चे धागे हैं । मनुष्य ममता के इन कच्चे धागों को बटोर कर एक मजबूत रस्सी बना ले और उसे भगवान के चरणकमलों से बांध दे । ममता के ये धागे कच्चे इसलिए हैं; क्योंकि जरा सा स्वार्थ टकराया, ये टूट जाते हैं । ममता दु:खरूप वासना है; परंतु भगवान का प्रेम मोक्षप्रद और उपासना है ।

भगवान व्यास कृत भगवती स्तोत्र

जो मनुष्य कहीं भी रह कर पवित्र भावना से नियमपूर्वक इस व्यासकृत स्तोत्र का पाठ करता है, अथवा शुद्ध भाव से घर पर ही पाठ करता है, उसके ऊपर भगवती (दुर्गा) सदा ही प्रसन्न रहती हैं ।

गान करने पर त्राण करने वाली श्रीगायत्री चालीसा

गायत्री मन्त्र केवल यज्ञोपवीत धारियों को जपना चाहिए या सभी उसका जप कर सकते हैं; इस पर तो एक राय नहीं है । इसलिए जिन्होंने गुरु दीक्षा नहीं ली है या जो यज्ञोपवीतधारी नहीं हैं; वे ‘गायत्री चालीसा’ का पाठ कर सकते हैं ।

भय से मुक्ति के लिए गौ स्तुति

गाय की सेवा करने से जीते-जी तो हर प्रकार का सुख, संतोष और शांति प्राप्त होती ही है, गोदान करने से मरने के बाद यमराज का भय नहीं रहता है ।

नित्य तुलसी पूजा की संक्षिप्त विधि

जो दर्शन करने ने पर सारे पापों का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचे जाने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है, आरोपित किए जाने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों पर चढ़ाये जाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उन तुलसीदेवी को नमस्कार है ।

श्रीगणपति अथर्वशीर्ष : मन-मस्तिष्क को शांत रखने की विद्या

अथर्वशीर्ष शब्द में अ+थर्व+शीर्ष इन शब्दों का समावेश है। ‘अ’ अर्थात् अभाव, ‘थर्व’ अर्थात् चंचल एवं ‘शीर्ष’ अर्थात् मस्तिष्क--चंचलता रहित मस्तिष्क अर्थात् शांत मस्तिष्क। गणपति अथर्वशीर्ष मन-मस्तिष्क को शांत रखने की विद्या है।

‘श्री-सूक्त’ : ऐश्वर्य और समृद्धिदायक

हे अग्निदेव! कभी नष्ट न होने वाली उन स्थिर लक्ष्मी का मेरे लिए आवाहन करें जो मुझे छोड़कर अन्यत्र नहीं जाने वाली हों, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, उत्तम ऐश्वर्य, गौएं, दासियां, अश्व और पुत्रादि को हम प्राप्त करें। ऐश्वर्य और समृद्धि की कामना से इस 'श्री-सूक्त' के मन्त्रों का जप तथा इन मन्त्रों से हवन, पूजन अमोघ फलदायक है।

नित्य पाठ के लिए भगवान श्रीकृष्ण का षोडशी स्तोत्र

जय जय श्रीराधारमण, मंगल करन कृपाल, लकुट मुकुट मुरली धरन मनमोहन गोपाल । हे वसुदेवकुमार देवकीनंदन प्यारे, गोकुल में नन्दलाल बाललीला विस्तारे।