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मां बगलामुखी और उनकी उपासना विधि

मां पीताम्बरा की उपासना में सभी वस्तुएं पीली होनी चाहिए । जैसे साधना पीले वस्त्र पहनकर की जाती है । पूजा में हल्दी की माला व पीले आसन, पीले पुष्प (गेंदा, कनेर प्रियंगु) और पीले चावल का प्रयोग होता है ।

हिन्दू धर्म में सिर पर शिखा या चोटी क्यों रखी जाती...

शिखा या चोटी रखना हिन्दुओं का केवल धर्म ही नहीं है, यह हमारे ऋषि-मुनियों की विलक्षण खोज का चमत्कार है । हिन्दू...

कैसे शुरु हुई होली मनाने की परम्परा और क्या है इसके...

हिन्दू धर्म में खेत से आए नवीन अन्न को यज्ञ में हवन करके प्रसाद लेने की परम्परा है । उस अन्न को ‘होला’ कहते हैं । अत: फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को उपले आदि एकत्र कर उसमें यज्ञ की तरह अग्नि स्थापित की जाती है, पूजन करके हवन के चरू के रूप में जौ, गेहूँ, चने की बालियों को आहुति के रूप में होली की ज्वाला में सेकते हैं ।

भगवान की परिक्रमा क्यों की जाती है ?

आज भी करोड़ों लोग व्रज में गोवर्धन पर्वत की तलहटी में नंगे पैर व दण्डवत् परिक्रमा करते हैं । इसके पीछे भाव यही रहता है कि कहीं-न-कहीं भगवान के शरीर से स्पर्श किया हुआ कोई रजकण अभी भी वहां की रज में दबा होगा । शायद किसी पुण्य से वह हमें स्पर्श कर जाए और हमारा जीवन धन्य हो जाए ।

नित्य तुलसी पूजा की संक्षिप्त विधि

जो दर्शन करने ने पर सारे पापों का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचे जाने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है, आरोपित किए जाने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों पर चढ़ाये जाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उन तुलसीदेवी को नमस्कार है ।

पूजा से पहले आचमन क्यों किया जाता है ?

पहले आचमन से ऋग्वेद, दूसरे से यजुर्वेद तथा तीसरे से सामवेद की तृप्ति होती है । आचमन से जो जल चूकर गिरता है, उससे नाग-यक्ष आदि तृप्त होते हैं ।

विभिन्न देवताओं के प्रिय पुष्प

जानें, किस देव को हैं कौन से पुष्प प्रिय ?

भगवान की पूजा का सबसे सुन्दर साधन : पुष्प

यदि किसी के पास पुष्प नहीं हैं तो वह अहिंसा, इन्द्रिय निग्रह, दया, क्षमा, तप, सत्य, ध्यान, ज्ञान आदि भाव पुष्पों से ही मानसिक पूजा कर सकता है । इन भाव-पुष्पों से अर्चना करने वालों को नरक यातना नहीं सहनी पड़ती है ।

श्रीगणेश की 5 मिनट की संक्षिप्त पूजा विधि

तैंतीस करोड़ देवताओं में सबसे विलक्षण और सबके आराध्य श्रीगणेश आनन्द और मंगल देने वाले, कृपा और विद्या के सागर, बुद्धि देने वाले, सिद्धियों के भण्डार और सब विघ्नों के नाशक हैं । अत: अपना कल्याण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन उनका स्मरण व अर्चन अवश्य करना चाहिए ।

चिन्ता, क्लेश, भय दूर करने वाला क्लेशहर स्तोत्र

भगवान श्रीकृष्ण के इस नामरूपी अमृत वाले स्तोत्रका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से मनुष्य के दोषों और क्लेशों का नाश होकर पुण्य और भक्ति की प्राप्ति होती है । निष्काम भाव से यदि इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो मनुष्य मोक्ष का अधिकारी होता है ।