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राम तें अधिक राम का दासा : हनुमानजी
हनुमानजी यद्यपि श्रीराम के दूत और दास के रूप में प्रसिद्ध हुए पर उन्होंने श्रीराम के चरणकमलों की भक्ति से यह सिद्ध कर दिया कि दूत या सेवक का कार्य निंदनीय नहीं है; बल्कि वे सच्चे कर्मयोगी भक्त हैं । उन्होंने संसार को यह संदेश दिया कि ईश्वर की कृपा से जो कर्म करने को मिले, उसी में दक्षता प्राप्त करनी चाहिए । मनुष्य को सच्चा कर्मयोगी बनना चाहिए ।
जैसी वीर माता अजंना वैसे महावीर पुत्र हनुमान
माता अंजना लक्ष्मणजी के मन के भाव ताड़ गईं और बोली—‘ऐसा लगता है कि छोटे राजकुमार को मेरे दूध पर संदेह हो रहा है । मैं इन्हें अभी अपने दूध का प्रभाव दिखाती हूँ ।’ यह कह कर माता ने अपने स्तन से दूध की एक धार सामने के पर्वत पर छोड़ी । दूध की धार से वह समूचा पर्वत फट गया । यह देख कर सभी आश्चर्यचकित रह गए ।
हनुमानजी के गुरु कौन थे ?
ऐसा अद्भुत और आश्चर्यमय अध्ययन-अध्यापन ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इन्द्र आदि देवताओं और लोकपालों ने कभी देखा नहीं था । इस दृश्य को देखकर वे आश्चर्यचकित रह गये और उनकी आंखें चौंधिया गयीं । वे सोचने लगे कि यह तो शौर्य, वीररस, धैर्य आदि सद्गुणों का साक्षात् स्वरूप आकाश में उपस्थित हो गया है ।
संकटनाश के लिए हनुमानजी की विशेष पूजा
किसी एक देवता की आराधना एक ही फल प्रदान करती है किन्तु हनुमानजी की आराधना बुद्धि,बल, कीर्ति, धीरता, निर्भीकता, आरोग्य, व वाक्यपटुता आदि सभी कुछ प्रदान कर देती है ।
हनुमानजी अमर हैं तो अब वे कहां हैं ?
जहां भी रामकथा या रामनाम का कीर्तन होता है, वहां वे गुप्त रूप से सबसे पहले पहुंच जाते हैं । दोनों हाथ जोड़कर सिर से लगाये सबसे अंत तक वहां वे खड़े ही रहते हैं । प्रेम के कारण उनके नेत्रों से बराबर आंसू झरते रहते हैं ।
पंचमुखी हनुमान में है भगवान के पांच अवतारों की शक्ति
पंचमुखी हनुमानजी में भगवान के पांच अवतारों की शक्ति समायी है, इसलिए महानतम ऊर्जा के धनी हनुमानजी कठिन-से-कठिनतम किसी भी कार्य या समस्या को चुटकी बजाते हुए हल कर देते है ।
शनिदेव को तेल क्यों चढ़ाया जाता है ?
हनुमानजी रामसेतु की दौड़कर प्रदक्षिणा करने लगे । इससे उनकी विशाल पूंछ, जिसमें शनिदेव बंधे हुए थे, वानर व भालुओं द्वारा रखे गये बड़े-बड़े पत्थरों से टकराने लगी । बजरंगबली बीच-बीच में अपनी पूंछ को पत्थरों पर पटक भी देते थे ।
वायुरोगों की रामबाण औषधि हैं हनुमान-मन्त्र
पवनपुत्र होने के कारण हनुमानजी का वायु से गहरा सम्बन्ध है । इसलिए हनुमानजी की आराधना से वायुरोगों का नाश होता है ।
5 Daily bhajans of Shri Hanuman
कैसा करिश्मा तूने हनुमान कर दिया की राम ने कलयुग तुम्हारे नाम कर दिया
- Hanuman Bhajan By Mukesh ji
https://youtu.be/mE-Dt7L7Q6Y
हनुमत ढूंढ रहे किसी ने मेरा...
अत्यन्त फलदायी हैं हनुमानजी के 108 नाम
हनुमानजी के अष्टोत्तरशतनाम आज के भौतिक युग में मनुष्य के कमजोर होते हुए विश्वास को पुर्नजीवित करने में संजीवनी बूटी का काम करेंगे और विभिन्न संतापों से अशान्त मन को शान्त करने में सहायक होंगे।