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पाद-सेवन भक्ति की आचार्या लक्ष्मीजी

लक्ष्मीजी जिस पर कृपा करती हैं, तो उनका मद दूसरों को हो जाता है, लेकिन स्वयं लक्ष्मीजी को अपने गुणों, ऐश्वर्य, श्री का मद नहीं होता है क्योंकि भगवान नारायण सदैव लक्ष्मी से विरत रहते हैं । जानें, इसकी सुन्दर व्याख्या ।

लक्ष्मीजी ने गोमय को क्यों चुना अपना निवास-स्थान ?

भगवान श्रीकृष्ण को भी आश्चर्य होता था कि सभी प्रकार के ऐश्वर्य, ज्ञान, बल, ऋषि-मुनि, भक्त, राजागण व देवी-देवताओं का सर्वस्व समर्पण–ये सब मेरे पास एक ही साथ कैसे आ गए ? शायद ये मेरी गोसेवा का ही परिणाम है ।

दीपावली पर्व पर महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के उपाय

दीपावली के दिन लक्ष्मी के साथ सभी देवताओं का पूजन कर उन सबका अपने घर में शयन का प्रबन्ध करना चाहिए जिससे वे लक्ष्मीजी के साथ वहीं निवास करें । नयी शय्या, नया बिस्तर व कमल आदि से सजा कर लक्ष्मीजी को घर में स्थिरभाव से निवास करने की प्रार्थना करनी चाहिए। इससे लक्ष्मी घर में स्थिर रूप से निवास करती हैं ।

धनत्रयोदशी : समृद्धि की कामना का प्रथम दिन

लक्ष्मीजी दीपक की ज्योति में लीन होकर चारों दिशाओं में फैल गईं और भगवान विष्णु देखते ही रह गये । दूसरे दिन तेरस को किसान ने लक्षमीजी के बताये अनुसार ही कार्य किया । उसका घर धन-धान्य से पूर्ण हो गया । अब तो किसान हर साल तेरस को लक्ष्मीजी की पूजा करने लगा । और यह तिथि ‘धनतेरस’ कहलाने लगी ।

दीपावली को लक्ष्मीजी के साथ गणेशजी व अन्य देवी-देवताओं की पूजा...

जानें, क्यों कार्तिक कृष्ण अमावस्या—दीपावली के दिन शुभ मुहुर्त में देवी महालक्ष्मी के साथ गणेशजी और अन्य देवी-देवताओं जैसे—शंकरजी, हनुमानजी, दुर्गाजी, सरस्वतीजी आदि की मिट्टी की नयी प्रतिमाओं का विशेष पूजन किया जाता है ।

लक्ष्मीजी के स्वरूप में छिपा संदेश

लक्ष्मीजी के स्वरूप में उनका एक हाथ सदैव धन की वर्षा करता हुआ दिखाई देता है । इसका भाव है कि समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को सदैव सत्कार्यों और परोपकार के लिए मुक्त हस्त से दान देना चाहिए । दान से लक्ष्मीजी संतुष्ट और प्रसन्न होती हैं ।