ऐसा माना जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को समुद्र-मंथन से देवी लक्ष्मी का प्रादुर्भाव हुआ जिसकी प्रसन्नता में लोगों ने दीपोत्सव मनाया । यह तिथि सभी प्रकार के विघ्न, शोक व उपद्रवों को दूर कर धन, सुख और पुष्टि आदि प्रदान करने वाली है । 

देवी महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

▪️लक्ष्मीजी के स्वागत के लिए मनुष्य को अपने तन-मन दोनों को पूर्णत: शुद्ध करना आवश्यक है क्योंकि लक्ष्मीजी वैष्णवी शक्ति (भगवान विष्णु की पत्नी) हैं । इसलिए इस दिन प्रात:काल उबटन आदि से स्नान कर तन को पूर्णत: शुद्ध करें और किसी भी तामसिक पदार्थ का सेवन न करें । मन की शुद्धि के लिए अपने हृदय में प्रसन्न और सकारात्मक रहने तथा कठिन पुरुषार्थ द्वारा लक्ष्मीजी को प्राप्त करने का संकल्प करें क्योंकि लक्ष्मीजी को पुरुषार्थी व्यक्ति ही पसन्द हैं, आलसी नहीं ।

▪️दीपावली की रात्रि में विष्णुप्रिया लक्ष्मी सभी मनुष्यों के घरों में जाकर यह देखती हैं कि मेरे निवास योग्य घर कौन-कौन से हैं ? जहां कहीं उन्हें अपने रहने के लिए अनुकूल स्थान लगता है, वहीं वह रम जाती हैं । इसलिए अपने घर को सब प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध व पवित्र बनायें । टूटी-फूटी और गंदी चीजें जो नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करती हैं, उसे घर से दूर कर देना चाहिए ।

▪️घर के अंदर लक्ष्मीजी रूपी सकारात्मक ऊर्जा को प्रवेश कराने के लिए घर के मुख्य द्वार की तैयारी अत्यन्त आवश्यक है । इसके लिए मुख्य द्वार पर अशोक व गेंदें के फूलों की वंदनवार लगायें । घर के अंदर जाते हुए लक्ष्मीजी के चरण कुंकुम से या रेडीमेड बने हुए अवश्य बनाने चाहिए व हल्दी के घोल से द्वार पर सुन्दर रचना या रंगोली बनायें । साथ ही घर के द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक-चिह्न अवश्य लगाने चाहिए । फूलों, वंदनवार और रंगोली आदि से घर को सुन्दर सजा कर दीपमालिका सजाने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं । 

▪️मनुष्य को अपना घर ऐसा बनाना चाहिए जो लक्ष्मीजी के मनोनुकूल हो । लक्ष्मीजी का कहना है कि ‘सत्य, दान, व्रत, तपस्या, पराक्रम, शील, चारित्र्य एवं धर्म जहां वास करते हैं, वहां मेरा निवास रहता है ।’ जो घर साफ-सुथरे तथा सकारात्मक ऊर्जा ग्रहण करने के लिए तैयार होते हैं और जहां मंत्रों और स्त्रोतों के पाठ से दीपकों को प्रकाशित कर देवी लक्ष्मी का आह्वान और पूजन किया जाता है, वहां लक्ष्मीजी अवश्य अपनी कृपा बरसाती हैं । 

▪️दीपावली के दिन मन और विचारों को पवित्र कर उल्लास से धन की प्राप्ति के लिए धनदा देवी महालक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए । चौकी पर कपड़ा बिछाकर लाल अष्टदलकमल बनाकर लक्ष्मीजी की मूर्ति स्थापित करें । फिर लक्ष्मीजी का आह्वान इस प्रकार करें—

कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् ।
पद्मेस्थितां पद्मवर्णां तामिहोप ह्वये श्रियम् ।। (श्रीसूक्त ४)

अर्थात्–जो साक्षात् ब्रह्मरूपा व मन्द-मन्द मुसकराने वाली हैं, जो चारों ओर सुवर्ण से ओत-प्रोत हैं, दया से आर्द्र हृदय वाली या समुद्र से प्रादुर्भूत (प्रकट) होने के कारण आर्द्र शरीर होती हुई भी तेजोमयी हैं, स्वयं पूर्णकामा होने के कारण भक्तों के नाना प्रकार के मनोरथों को पूर्ण करने वाली, भक्तानुग्रहकारिणी, कमल के आसन पर विराजमान तथा पद्मवर्णा हैं, उन लक्ष्मीदेवी का मैं यहां आह्वान करता हूँ ।

▪️लक्ष्मीजी को अंगूर बहुत प्रिय है । दीवाली के दिन पंचामृत के साथ अंगूर के रस से भी लक्ष्मीजी को स्नान करायें ।

महालक्ष्मीजी की षोडशोपचार पूजा इन मन्त्रों से करें–

मनसः काममाकूतिं, वाचः सत्यमशीमहि ।
पशूनां रूपमन्नस्य, मयि श्रीः श्रयतां यशः ।। (श्रीसूक्त १०)

लक्ष्मी देवी ! आपके प्रभाव से मन की कामनाएं और संकल्प की सिद्धि एवं वाणी की सत्यता मुझे प्राप्त हों; मैं गौ आदि पशुओं के दूध, दही, यव आदि एवं विभिन्न अन्नों के रूप (भक्ष्य, भोज्य, चोष्य, लेह्य, चतुर्विध भोज्य पदार्थों)  को प्राप्त करुँ । सम्पत्ति और यश मुझमें आश्रय लें अर्थात् मैं लक्ष्मीवान एवं कीर्तिमान बनूँ ।

तां म आ वह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् ।
यस्यां हिरण्यं प्रभूतं गावो दास्योऽश्वान् विन्देयं पुरुषानहम् ।। (श्रीसूक्त १५)

हे अग्निदेव ! कभी नष्ट न होने वाली उन स्थिर लक्ष्मी का मेरे लिए आवाहन करें जो मुझे छोड़कर अन्यत्र नहीं जाने वाली हों, जिनके आगमन से बहुत-सा धन, उत्तम ऐश्वर्य, गौएं, दासियां, अश्व और पुत्रादि को हम प्राप्त करें ।

▪️महालक्ष्मी का पसंदीदा भोग—स्कन्दपुराण के अनुसार गाय के दूध को जावित्री, लौंग, इलायची और कपूर के साथ अच्छी तरह पका कर मावा बना ले और उसमें शक्कर मिला कर लड्डू बना लें और वे महालक्ष्मीजी को अर्पित करें ।

▪️पूजन-आरती के बाद प्रदक्षिणा कर पुष्पांजलि अवश्य अर्पित करें । 

▪️प्रदोषकाल में दीप दान करें । दीपक से निकलने वाली किरणें उस घर तथा मनुष्य के ऊर्जा चक्रों को शक्ति प्रदान करती हैं ।

▪️महालक्ष्मी से इस प्रकार प्रार्थना करें—‘दीपक की ज्योति में विराजमान महालक्ष्मी ! तुम ज्योतिर्मयी हो । सूर्य, चन्द्रमा, अग्नि, सुवर्ण  और तारा आदि सभी ज्योतियों की ज्योति हो; तुम्हें नमस्कार है । कार्तिक की दीपावली के पवित्र दिन इस भूतल पर और गौओं के गोष्ठ में जो लक्ष्मी शोभा पाती है, वे मेरे लिए सदा वरदायिनी हो ।’

▪️दीपावली के दिन ब्राह्मण और भूखे मनुष्यों को भोजन कराने के बाद ही स्वयं नवीन वस्त्र-आभूषण पहिनें ।

▪️इस दिन ‘श्रीसूक्त’ और ‘इन्द्र द्वारा की गयी महालक्ष्मी की स्तुति’ का पाठ करना बहुत फलदायी माना जाता है ।

▪️जहां भगवान श्रीकृष्ण का गुणगान होता है वहां लक्ष्मी सदैव विराजमान रहती हैं । अत: ‘श्रीगोपालसहस्त्रनाम’ के पाठ करने से भी लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं ।

▪️शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति दीपावली को दिन-रात जागरण करके लक्ष्मीजी की पूजा करता है, उसके घर लक्ष्मीजी का निवास होता है और जो आलस्य और निद्रा में पड़कर दीपावली यूं ही गंवाता है, उसके घर से लक्ष्मी रुठकर चली जाती है ।

लक्ष्मीजी को घर में स्थायी रूप से निवास कराने के लिए करें उनके शयन का प्रबन्ध

दीवाली पर घर में बिस्तर पर नयी चादर क्यों बिछायी जाती है ? इस सम्बन्ध में एक कथा है कि राजा बलि का प्रताप जब सारे संसार में फैल गया तो उसने सभी देवताओं को बन्दी बना लिया । उसके कारागार में लक्ष्मीजी सहित सभी देवी-देवता बंद थे । कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वामन रूपधारी भगवान विष्णु ने जब बलि को बांध लिया तो सभी देवी-देवताओं ने उसके कारागार से मुक्त होकर क्षीरसागर में जाकर शयन किया । इसलिए दीपावली के दिन लक्ष्मी के साथ उन सभी देवताओं का पूजन कर उन सबका अपने घर में शयन का प्रबन्ध करना चाहिए जिससे वे लक्ष्मीजी के साथ वहीं निवास करें ।

इसके लिए शय्या पर नयी चादर बिछाकर उसे कमल आदि से सजा कर लक्ष्मीजी को घर में स्थिर भाव से निवास करने की प्रार्थना करनी चाहिए, इससे लक्ष्मीजी घर में स्थिर रूप से निवास करती हैं ।

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