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महर्षि वेदव्यास द्वारा श्रीगणेश वंदना
प्रमुख पुराणों के रचियता महर्षि वेदव्यासजी ने चार श्लोकों में भगवान श्रीगणेश की रूप-माधुरी की स्तुति की है । यह श्रीगणेश के पौराणिक रूप का भव्य वर्णन है । यह स्तुति पद्मपुराण के सृष्टिखण्ड (६६।२-३, ६-७) मे वर्णित है ।
श्रीगणेश को मोदक क्यों सबसे अधिक प्रिय है ?
गणेशजी की मोदक-प्रियता ने मानव जीवन में माधुर्य का संचार कर दिया है । घर में कोई शुभ अवसर हो, चाहें बच्चे का जन्म-उत्सव हो, मुण्डन संस्कार हो, बेटी या बेटे की सगाई, शादी या गौना हो, परीक्षा में सफलता हो, प्रमोशन हो, चुनाव में जीत बो या अन्य कोई खुशी का अवसर हो; सभी में बेसन की बूंदी से बने ‘मोतीचूर के लड्डुओं के बिना हृदय के आह्लाद-खुशी का प्रकटीकरण नहीं होता है ।
भगवान गणेश को सिंदूर क्यों लगाया जाता है ?
भगवान गजानन ने सिन्दूरासुर के पास पहुंचने पर विराट् रूप धारण कर लिया । उनका मस्तक ब्रह्माण्ड को और दोनों पैर पाताल को छूने लगे । गजानन का सहस्त्रशीर्ष, सहस्त्राक्ष और सहस्त्रपाद वाला विराट रूप सर्वत्र व्याप्त हो गया ।
हजार नामों के समान फल देने वाले श्रीगणेश के 21 नाम
श्रीगणेश का कथन है—जो व्यक्ति इन मोदक रूपी 21 नामों द्वारा मुझे भक्तिपूर्वक उपहार अर्पित करता है; मेरा प्रसाद चाहता है और मनोकामना पूर्ति के लिए एक वर्ष तक मुझ विघ्नराज के इस स्तोत्र का पाठ करता है, मुझमें मन लगाकर, मेरी आराधना में तत्पर रहकर मेरा स्तवन करता है, इन 21 नामों को पढ़ने से ही मेरी सहस्त्रनाम से स्तुति हो जाती है, इसमें कोई संशय नहीं है ।
करें श्रीगणेश का ध्यान, मिलेगा विद्या और बुद्धि का वरदान
जानें, विद्या प्राप्ति और तीव्र स्मरण-शक्ति के लिए श्रीगणेश का प्रात:कालीन ध्यान, साथ ही बुधवार को किए जाने वाले विशेष उपाय ।
भगवान गणेश को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है ?
श्रीगणेश ने भी तुलसी को शाप देते हुए कहा—‘देवि ! तुम्हें भी असुर पति प्राप्त होगा और उसके बाद महापुरुषों के शाप से तुम वृक्ष हो जाओगी ।’
श्रीगणेश की 5 मिनट की संक्षिप्त पूजा विधि
तैंतीस करोड़ देवताओं में सबसे विलक्षण और सबके आराध्य श्रीगणेश आनन्द और मंगल देने वाले, कृपा और विद्या के सागर, बुद्धि देने वाले, सिद्धियों के भण्डार और सब विघ्नों के नाशक हैं । अत: अपना कल्याण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन उनका स्मरण व अर्चन अवश्य करना चाहिए ।
श्रीगणेश आराधना दूर करती है दुर्गुण और दुर्भावना
श्रीगणेश ने अपने आठ प्रमुख अवतारों में जिन असुरों का वध किया है उनके नामों को देखने से स्पष्ट होता है कि श्रीगणेश मनुष्य के अंत:करण में छिपे उसके वास्तविक शत्रुओं—काम-क्रोध, लोभ-मोह, मद आदि का नाश करते हैं ।
गणपति के नाम, देते हैं खुशहाली का वरदान
यमराज द्वारा कहे गए श्रीगणेश के 108 नाम देते हैं यमयातना से मुक्ति