shri hanuman bhagwan, jai jai shri hanuman

संसार में ऐसे तो उदाहरण हैं जहां स्वामी ने सेवक को अपने समान कर दिया हो, किन्तु स्वामी ने सेवक को अपने से ऊंचा मानकर सम्मान दिया है, यह केवल श्रीरामचरित्र में ही देखने को मिलता है । श्रीरामचरितमानस में जितना भी कठिन कार्य है, वह सब हनुमानजी द्वारा पूर्ण होता है । मां सीता की खोज, लक्ष्मणजी के प्राण बचाना, लंका में संत्रास पैदा करना, अहिरावण-वध, श्रीराम-लक्ष्मण की रक्षा–जैसे अनेक कार्य हनुमानजी ने किए । आज भी हनुमानजी को जो करुणहृदय से पुकारता है, हनुमानजी उसकी रक्षा अवश्य करते हैं। कितने भी संकट में कोई हो, हनुमानजी का नाम उसे त्राण देता है ।

हे रामदूत! हे पवनपुत्र! हे संकटमोचन! हे हनुमान !
तुम दुष्टों के हो कालरूप, तुम महाबली, तुम ओजवान ।।
जनकसुता के कष्ट हरे सब, रावण का मद चूर किया ।
प्रेम-भाव से तुम्हें पुकारा, तुमने संकट दूर किया ।।
मेरे अंतर में प्रतिदिन ही, गूंजे तेरा अमर गान ।
हे रामदूत! हे पवनपुत्र! हे संकटमोचन! हे हनुमान! (श्रीअनूपकुमारजी गुप्त ‘अनूप’)

भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी भक्तगण हनुमानजी की आराधना बड़े ही श्रद्धा से करते हैं। हनुमानजी की जाग्रत देवता के रूप में मान्यता है; इसलिए इनकी आराधना से तत्काल फल की प्राप्ति होती है ।

अष्टोत्तरशतनाम (१०८ नाम) का महत्व

भगवान के पूजन व अर्चन में अष्टोत्तरशतनाम व सहस्त्रनाम का अत्यधिक महत्त्व है। विशेष कामनाओं की पूर्ति के लिए अष्टोत्तरशत नामावली का पाठ या विशेष सामग्री द्वारा १०८ नामों से पूजा-अर्चना की शास्त्रों में बहुत महिमा बताई गयी है। इन नामों का पाठ अनन्त फलदायक, सभी अमंगलों का नाश करने वाला, स्थायी सुख-शान्ति को देने वाला, अंत:करण को पवित्र करने वाला और भगवान की भक्ति को बढ़ाने वाला है। यहां सभी कामनाओं की पूर्ति करने वाले हनुमानजी के अष्टोत्तरशत नाम दिए जा रहे हैं–

हनुमानजी के प्रसिद्ध १०८ नाम (अष्टोत्तरशत नामावली)

हनुमानजी के नाम स्मरण से ही बुद्धि, बल, यश, धीरता, निर्भयता, आरोग्य, सुदृढ़ता और बोलने में महारत प्राप्त होती है और मनुष्य के अनेक रोग दूर हो जाते हैं । भूत-प्रेत, पिशाच, यक्ष, राक्षस उनके नाम लेने मात्र से ही भाग जाते हैं

१. ॐ अंजनीगर्भसम्भूताय नम:
२. ॐ वायुपुत्राय नम:
३. ॐ चिरंजीवने नम:
४. ॐ महाबलाय नम:
५. ॐ कर्णकुण्डलाय नम:
६. ॐ ब्रह्मचारिणे नम:
७. ॐ ग्रामवासिने नम:
८. ॐ पिंगकेशाय नम:
९. ॐ रामदूताय नम:
१०. ॐ सुग्रीवकार्यकर्त्रे नम:
११. ॐ बालिनिग्रहकारकाय नम:
१२. ॐ रुद्रावताराय नम:
१३. ॐ हनुमते नम:
१४. ॐ सुग्रीवप्रियसेवकाय नम:
१५. ॐ सागरक्रमणाय नम:
१६. ॐ सीताशोकनिवारणाय नम:
१७. ॐ छायाग्रहीनिहन्त्रे नम:
१८. ॐ पर्वताधिश्रिताय नम:
१९. ॐ प्रमाथाय नम:
२०. ॐ वनभंगाय नम:
२१. ॐ महाबलपराक्रमाय नम:
२२. ॐ महायुद्धाय नम:
२३. ॐ धीराय नम:
२४. ॐ सर्वासुरमहोद्यताय नम:
२५. ॐ अग्निसूक्तोक्तचारिणे नम:
२६. ॐ भीमगर्वविनाशकाय नम:
२७. ॐ शिवलिंगप्रतिष्ठात्रे नम:
२८. ॐ अनघाय नम:
२९. ॐ कार्यसाधकाय नम:
३०. ॐ वज्रांगाय नम:
३१. ॐ भास्करग्रसाय नम:
३२. ॐ ब्रह्मादिसुरवन्दिताय नम:
३३. ॐ कार्यकर्त्रे नम:
३४. ॐ कार्यार्थिने नम:
३५. ॐ दानवान्तकाय नम:
३६. ॐ नाग्रविद्यानां पण्डिताय नम:
३७. ॐ वनमाल्यसुरान्तकाय नम:
३८. ॐ वज्रकायाय नम:
३९. ॐ महावीराय नम:
४०. ॐ रणांगणचराय नम:
४१. ॐ अक्षासुरनिहन्त्रे नम:
४२. ॐ जम्बूमालीविदारणे नम:
४३. ॐ इन्द्रजीतगर्वसंहन्त्रे नम:
४४. ॐ मन्त्रीनन्दनघातकाय नम:
४५. ॐ सौमित्रप्राणदाय नम:
४६. ॐ सर्ववानररक्षकाय नम:
४७. ॐ संजीवनवनगोद्वाहिने नम:
४८. ॐ कपिराजाय नम:
४९. ॐ कालनिधये नम:
५०. ॐ दधिमुखादिगर्वसंहन्त्रे नम:
५१. ॐ धूम्रविदारणाय नम:
५२. ॐ अहिरावणहन्त्रे नम:
५३. ॐ दोर्दण्डशोभिताय नम:
५४. ॐ गरलागर्वहरणाय नम:
५५. ॐ लंकाप्रासादभंजकाय नम:
५६. ॐ मारुताय नम:
५७. ॐ अंजनीवाक्यसाधकाय नम:
५८. ॐ लोकधारिणे नम:
५९. ॐ लोककर्त्रे नम:
६०. ॐ लोकदाय नम:
६१. ॐ लोकवन्दिताय नम:
६२. ॐ दशास्यगर्वहन्त्रे नम:
६३. ॐ फाल्गुनभंजकाय नम:
६४. ॐ किरीटीकार्यकर्त्रे नम:
६५. ॐ दुष्टदुर्जयखण्डनाय नम:
६६. ॐ वीर्यकर्त्रे नम:
६७. ॐ वीर्यवर्याय नम:
६८. ॐ बालपराक्रमाय नम:
६९. ॐ रामेष्ठाय नम:
७०. ॐ भीमकर्मणे नम:
७१. ॐ भीमकार्यप्रसाधकाय नम:
७२. ॐ विरोधिवीराय नम:
७३. ॐ मोहानासिने नम:
७४. ॐ ब्रह्ममन्त्रये नम:
७५. ॐ सर्वकार्याणां सहायकाय नम:
७६. ॐ रुद्ररूपीमहेश्वराय नम:
७७. ॐ मृतवानरसंजीवने नम:
७८. ॐ मकरीशापखण्डनाय नम:
७९. ॐ अर्जुनध्वजवासिने नम:
८०. ॐ रामप्रीतिकराय नम:
८१. ॐ रामसेविने नम:
८२. ॐ कालमेघान्तकाय नम:
८३. ॐ लंकानिग्रहकारिणे नम:
८४. ॐ सीतान्वेषणतत्पराय नम:
८५. ॐ सुग्रीवसारथये नम:
८६. ॐ शूराय नम:
८७. ॐ कुम्भकर्णकृतान्तकाय नम:
८८. ॐ कामरूपिणे नम:
८९. ॐ कपीन्द्राय नम:
९०. ॐ पिंगाक्षाय नम:
९१. ॐ कपिनायकाय नम:
९२. ॐ पुत्रस्थापनकर्त्रे नम:
९३. ॐ बलवते नम:
९४. ॐ मारुतात्मजाय नम:
९५. ॐ रामभक्ताय नम:
९६. ॐ सदाचारिणे नम:
९७. ॐ युवानविक्रमोर्जिताय नम:
९८. ॐ मतिमते नम:
९९. ॐ तुलाधारपावनाय नम:
१००. ॐ प्रवीणाय नम:
१०१. ॐ पापसंहारकाय नम:
१०२. ॐ गुणाढ्याय नम:
१०३. ॐ नरवन्दिताय नम:
१०४. ॐ दुष्टदानवसंहारिणे नम:
१०५. ॐ महायोगिने नम:
१०६. ॐ महोदराय नम:
१०७. ॐ रामसन्मुखाय नम:
१०८. ॐ रामपूजकाय नम:

हनुमानजी की ये अष्टोत्तरशतनामावली आज के भौतिक युग में मनुष्य के कमजोर होते हुए विश्वास को पुर्नजीवित करने में संजीवनी बूटी का काम करेगी और विभिन्न संतापों से अशान्त मन को शान्त करने में सहायक होगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here