नित्य तुलसी पूजा की संक्षिप्त विधि

जो दर्शन करने ने पर सारे पापों का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचे जाने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है, आरोपित किए जाने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों पर चढ़ाये जाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उन तुलसीदेवी को नमस्कार है ।

पूजा से पहले आचमन क्यों किया जाता है ?

पहले आचमन से ऋग्वेद, दूसरे से यजुर्वेद तथा तीसरे से सामवेद की तृप्ति होती है । आचमन से जो जल चूकर गिरता है, उससे नाग-यक्ष आदि तृप्त होते हैं ।

विभिन्न देवताओं के प्रिय पुष्प

जानें, किस देव को हैं कौन से पुष्प प्रिय ?

भगवान की पूजा का सबसे सुन्दर साधन : पुष्प

यदि किसी के पास पुष्प नहीं हैं तो वह अहिंसा, इन्द्रिय निग्रह, दया, क्षमा, तप, सत्य, ध्यान, ज्ञान आदि भाव पुष्पों से ही मानसिक पूजा कर सकता है । इन भाव-पुष्पों से अर्चना करने वालों को नरक यातना नहीं सहनी पड़ती है ।

श्रीगणेश की 5 मिनट की संक्षिप्त पूजा विधि

तैंतीस करोड़ देवताओं में सबसे विलक्षण और सबके आराध्य श्रीगणेश आनन्द और मंगल देने वाले, कृपा और विद्या के सागर, बुद्धि देने वाले, सिद्धियों के भण्डार और सब विघ्नों के नाशक हैं । अत: अपना कल्याण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन उनका स्मरण व अर्चन अवश्य करना चाहिए ।

चिन्ता, क्लेश, भय दूर करने वाला क्लेशहर स्तोत्र

भगवान श्रीकृष्ण के इस नामरूपी अमृत वाले स्तोत्रका श्रद्धापूर्वक पाठ करने से मनुष्य के दोषों और क्लेशों का नाश होकर पुण्य और भक्ति की प्राप्ति होती है । निष्काम भाव से यदि इस स्तोत्र का पाठ किया जाए तो मनुष्य मोक्ष का अधिकारी होता है ।

शरीर, मन और आत्मा के कायाकल्प के लिए कल्पवास

ऐसी मान्यता है कि जो संकल्प कर कल्पवास करता है वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है ।

नवग्रह : मन्त्र और व्रत-विधि

जन्मकुण्डली के प्रतिकूल ग्रहों को अनुकूल करना बहुत आवश्यक है । इसके लिए शास्त्रों में नवग्रह उपासना का विधान बताया है जिसमें रत्न और यंत्र धारण करना, व्रत और जप करना व विभिन्न औषधियों के स्नान आदि उपाय बताए गए हैं । नवग्रहों की पीड़ा निवारण में व्रत-नियम शीघ्र ही फल देने वाले हैं ।

मानव शरीर का मालिक कौन ?

इस शरीर पर किसका अधिकार है? यह शरीर क्या पिता का है या माता का है या माता को भी पैदा करने वाले नाना या नानी का है या अपना स्वयं का है ?

कार्तिकमास में दीपदान

महालक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की प्रसन्नता के लिए शरद पूर्णिमा से पूरे मास आकाशदीप प्रज्जवलित करना चाहिए इससे मनुष्य यम की यातना से मुक्त हो जाता है और अपने परिवार के साथ सभी प्रकार के भोगों को भोग करके अंत में विष्णुलोक को प्राप्त होता है ।