दस प्रकार के पापों से मुक्ति का पर्व गंगा दशहरा

दशहरे के दिन मनुष्य को गंगाजी की दस प्रकार के फूलों, दस प्रकार की गन्ध, दस प्रकार के नैवेद्य (भोग), दस ताम्बूल और दस दीपों से पूजा करनी चाहिए । इसके बाद इस मन्त्र की एक माला करनी चाहिए ।

सुख-समृद्धि देने वाले पांच देवता

यदि पंचायतन में देवों को अपने स्थान पर न रखकर दूसरी जगह स्थापित कर दिया जाता है तो वह साधक के दु:ख, शोक और भय का कारण बन जाता है ।

भगवान की सेवा करते समय रखें इन बातों का ध्यान

योग (साधना) न तो बहुत भोजन करने वाले कर सकते हैं और न सदा उपवास करके रहने वाले । यह बहुत सोने वालों के बस का नहीं और सदा जागते रहने वाले भी उसे अपनाने में असमर्थ हैं ।

अपने इष्टदेव का निर्णय कैसे करें?

गोस्वामीजी के मन में श्रीराम और श्रीकृष्ण में कोई भेद नहीं था, परन्तु पुजारी के कटाक्ष के कारण गोस्वामीजी ने हाथ जोड़कर श्रीठाकुरजी से प्रार्थना करते हुए कहा—‘यह मस्तक आपके सामने तभी नवेगा जब आप हाथ में धनुष बाण ले लोगे ।’

अक्षय तृतीया पर करें इन चीजों का दान

अत्यन्त पवित्र तिथि अक्षय तृतीया को हुए भगवान विष्णु के तीन अवतारों के लिए इस दिन विशेष भोग अर्पित किया जाता है और साल में केवल एक ही दिन भगवान विष्णु की अक्षत से पूजा की जाती है । सामान्य दिनों में भगवान विष्णु की पूजा में अक्षत का प्रयोग नहीं किया जाता है ।

हनुमानजी की पूजाविधि और सिद्ध मन्त्र

हनुमानजी को किस समय किस वस्तु का नैवेद्य लगाना चाहिए

देवी मंगलचण्डिका का मन्त्र व स्तोत्रपाठ करता है सर्वमंगल

दुर्गा को चण्डी कहते हैं और पृथ्वी के पुत्र का नाम मंगल है; अत: जो मंगलग्रह की आराध्या हैं, उन्हें मंगलचण्डिका कहते हैं ।

कैसे करें नवरात्रि में कलश की स्थापना ?

कलश-स्थापन क्यों किया जाता है? कौन-से योग व नक्षत्रों में कलश-स्थापन नहीं करना चाहिए?

कैसे करनी चाहिए नित्य सूर्यपूजा?

संसार के अन्धकार को दूर करने व मनुष्य को कर्म करने को प्रेरित करने के लिए साक्षात् नारायणरूप भगवान सूर्य प्रतिदिन प्रात:काल इस भूमण्डल पर उदित होते हैं। अत: उनके स्वागत के लिए मनुष्य को प्रतिदिन सूर्यार्घ्य देना चाहिए।

वैशाखमास में श्रीमाधव पूजन-विधि

वैशाखमास माधव को विशेष प्रिय है। इसलिए वैशाखमास को माधवमास भी कहते हैं। इस मास में मधु दैत्य को मारने वाले भगवान मधुसूदन की यदि भक्तिपूर्वक पूजा कर ली जाए तो मनुष्य लौकिक व पारलौकिक दोनों प्रकार के सुख प्राप्त करता है। व्रज में वैशाखमास का बहुत माहात्म्य है।