अपने वंशजों से क्या चाहते हैं पितर : पितृ गीत
विष्णुपुराण में पितरों के वे वाक्य हैं जो ‘पितृ गीत’ के नाम से जाने जाते हैं । इस गीत से पता लगता है कि पितरगण अपने वंशजों (संतानों) से पिण्ड-जल और नमस्कार आदि पाने के लिए कितने लालायित रहते हैं ।
श्राद्ध का प्रचलन कब शुरु हुआ ?
मरे हुए मनुष्य अपने वंशजों द्वारा पिण्डदान पाकर प्रेतत्व के कष्ट से छुटकारा पा जाते हैं । पितरों की भक्ति से मनुष्य को पुष्टि, आयु, लंतति, सौभाग्य, समृद्धि, रामनापूर्ति, वाक्सिद्धि, विद्या और सभी सुखों की प्राप्ति होती है । सुन्दर-सुन्दर वस्त्र, भवन और सुख साधन श्राद्ध कर्ता को स्वयं ही सुलभ हो जाते हैं ।
संकटनाश के लिए हनुमानजी की विशेष पूजा
किसी एक देवता की आराधना एक ही फल प्रदान करती है किन्तु हनुमानजी की आराधना बुद्धि,बल, कीर्ति, धीरता, निर्भीकता, आरोग्य, व वाक्यपटुता आदि सभी कुछ प्रदान कर देती है ।
साधक का गुप्त धन है जप माला
व्यक्ति को अपनी जप माला अलग रखनी चाहिए । दूसरे की माला पर जप नहीं करना चाहिए । जप की माला पर जब एक ही मन्त्र जपा जाता है, तो उसमें उस देवता की प्राण-प्रतिष्ठा हो जाती है, माला चैतन्य हो जाती है ।
व्रत की थाली में 56 भोग
उपवास सबसे बढ़िया और मजेदार काम है, इससे एक तो रोज की दाल-रोटी से छुट्टी मिल जाती है; दूसरे फलाहार के नाम पर नये-नये पकवान खाने को मिल जाते हैं । हमारे देश में इतने फल, कंद और मसाले होते हैं कि फलाहारी खाने का ही एक छोटा शब्दकोश बन जाए ।
रक्षाबन्धन पर्व : इतिहास एवं पूजा विधि
रक्षाबन्धन का अर्थ है रक्षा का भार जिसका तात्पर्य है कि मुसीबत में भाई बहन का साथ दे या बहन भाई का साथ दे । द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को अपनी धोती का चीर (कच्चा धागा) बांधा था और मुसीबत पड़ने पर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की ।
चातुर्मास्य में करें ये कार्य, पायें पुण्य अपार
चातुर्मास्य के चार महीने हल्का सात्विक भोजन करें, शरीर को साफ-सुथरा रखें, भगवान की भक्ति को अपनायें जो आन्तरिक शान्ति देती है, थोड़ा दान-पुण्य करें जिससे आत्मा को संतुष्टि मिलती है, थोड़ा स्वाध्याय (पुराणों का पढ़ना) करें जिससे मनुष्य चिन्तामुक्त हो जाता है ।
भगवान विष्णु का शयनोत्सव
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की देवशयनी एकादशी के दिन शंखासुर दैत्य का वध किया और युद्ध में किए गए परिश्रम से थक कर वे क्षीरसागर में अनन्त शय्या पर शयन करने चले गए ।
पितरों का आभार व्यक्त करने की तिथि है अमावस्या
जिस घर में पितर प्रसन्न रहते हैं वहां परिवार में सुख-शान्ति, धन-सम्पत्ति व संतान भी श्रेष्ठ होती है । अत: कैसे करें अमावस्या तिथि पर पितरों को प्रसन्न ?
एकादशी व्रत को सभी व्रतों का राजा क्यों कहते हैं ?
जैसे देवताओं में भगवान विष्णु, प्रकाश-तत्त्वों में सूर्य, नदियों में गंगा प्रमुख हैं वैसे ही व्रतों में सर्वश्रेष्ठ व्रत एकादशी-व्रत को माना गया है । इस तिथि को जो कुछ दान किया जाता है, भजन-पूजन किया जाता है, वह सब भगवान माधव के पूजित होने पर पूर्णता को प्राप्त होता है ।