आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में हर व्यक्ति अत्यन्त व्यस्त है । इसलिए आज के दौर में पूजा-पाठ केवल रस्म पूरी करना रह गया है । पहले व्यक्ति सुबह पूजा करता था, रामायण या गीता का पाठ करता था या मंगलवार व शनिवार हनुमान चालीसा या सुन्दरकाण्ड का पाठ करता था । देवी को मानने वाले दुर्गा सप्तशती का पाठ करते थे । लेकिन आज मोबाइल के जमाने में व्यक्ति whatsapp और facebook पर ही पोस्ट किए गए लेखों और धार्मिक मैसेज पढ़कर या वीडियो देखकर ही पूजा-पाठ हुआ मान लेता है ।
इसी को मद्देनजर कर अब से aaradhika.com पर सुबह-सुबह कैसे केवल पांच मिनट में आप भगवान की संक्षिप्त पूजा करके पूजा का पूरा फल प्राप्त कर सकते हैं, यह बताया जाएगा ।
संक्षिप्त पूजा या पंचोपचार पूजन
भगवान की संक्षिप्त पूजा में केवल 5 उपचारों से पूजा की जाती है जिसे पंचोपचार पूजन कहते हैं। यह पूजा गंध (रोली, चंदन), पुष्प, धूप, दीप और भोग से की जाती है । पंचोपचार पूजा ही जल्दी की या संक्षिप्त पूजा कहलाती है जिसमें भगवान को केवल ये पांच चीजें अर्पित कर देने से पूजा पूरी हो जाती है ।
श्रीगणेश की संक्षिप्त पूजा विधि
गणेशजी को प्रसन्न करना बहुत ही सरल है । इसमें ज्यादा खर्च की आवश्यकता नही है । पूजा-स्थान में गणेशजी की तस्वीर या मूर्ति पूर्व दिशा में विराजित करें । यदि मूर्ति या तस्वीर नहीं है तो एक पीली मिट्टी की ढली या सुपारी लेकर उस पर कलावा (मौली) लपेट दो, बन गए गणेशजी । रोली का छींटा लगा दो। चावल के दाने चढ़ा दो । कुछ न मिले तो दो दूब ही चढ़ा दो या घर में लगे लाल (गुड़हल, गुलाब) या सफेद पुष्प (सदाबहार, चांदनी) या गेंदा का फूल चढ़ा दो । लड्डू न हो तो केवल गुड़ या बताशे का भोग लगा दो । एक दीपक जला दो और हाथ जोड़ कर छोटा सा एक श्लोक बोल दो–
गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बूफल चारूभक्षणम् ।
उमासुतं शोकविनाशकारकमं नमामि विघ्नेश्वर पादपंकजम् ।।
हो गया मंत्र। इतने से ही गणेशजी प्रसन्न हो जाते हैं ।
गणेश उपासना सहज और सरल
भगवान श्रीगणेश की एक छोटी सी वन्दना लिख रही हूँ जिसको याद कर बोलते हए भी उनकी पूरी पूजा की जाये तो सोने पे सुहागा ही है—
गजानन कर दो बेड़ा पार, हम तुम्हें मनाते हैं ।
तुम्हें मनाते हैं गजानन, तुम्हें मनाते हैं ।।
सबसे पहले तुम्हें मनावें, सभा बीच में तुम्हें बुलावें ।
गणपति आन पधारो, हम तो तुम्हें मनाते हैं ।।
आओ पार्वती के लाला, मूषक वाहन सून्ड-सुण्डाला ।
जपें तुम्हारे नाम की माला, ध्यान लगाते हैं ।।
उमापति शंकर के प्यारे, तू भक्तों के काज संवारे ।
बड़े-बड़े पापी हैं तारे, जो शरण में आते हैं ।।
लड्डू पेड़ा भोग लगावें, पान सुपारी पुष्प चढ़ावें ।
हाथ जोड़ कर करें वन्दना, शीश झुकाते हैं ।।
सब भक्तों ने टेर लगाई, सबने मिलकर महिमा गाई ।
ऋद्धि सिद्धि संग ले आओ, हम भोग लगाते हैं ।।
तैंतीस करोड़ देवताओं में सबसे विलक्षण और सबके आराध्य श्रीगणेश आनन्द और मंगल देने वाले, कृपा और विद्या के सागर, बुद्धि देने वाले, सिद्धियों के भण्डार और सब विघ्नों के नाशक हैं । अत: अपना कल्याण चाहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन ऋद्धि सिद्धि नवनिधि के दाता मंगलमूर्ति गणेशजी का स्मरण व अर्चन अवश्य करना चाहिए ।