क्या भगवान का जन्म मनुष्यों की भांति होता है ?

‘हे भारत ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ । साधु पुरुषों का उद्धार करने के लिए, पाप-कर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की अच्छी तरह से स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ ।’

कल्पवृक्ष के समान श्रीकृष्ण के नाम

भगवान श्रीकृष्ण का नाम चिन्तामणि, कल्पवृक्ष है--सब अभिलाषित फलों को देने वाला है। यह स्वयं श्रीकृष्ण है, पूर्णतम है, नित्य है, शुद्ध है, सनातन है। भगवान के नाम अनन्त हैं, उनकी गणना कर पाना किसी के लिए भी सम्भव नहीं। यहां कुछ थोड़े से प्रचलित नामों का अर्थ दिया जा रहा है ।

भगवान श्रीकृष्ण की अर्जुन का गर्व-हरण लीला

भगवान श्रीकृष्ण ने अपने प्रिय सखा अर्जुन का गर्व-हरण कैसे किया ?

भगवान विष्णु के वक्ष:स्थल पर स्थित भृगु-रेखा

भगवान विष्णु के हृदय पर भृगु-चिह्न रेखा को भृगु-लांछन चिह्न क्यों कहते है ?

भगवान का वामन अवतार

भगवान का कोई भी अवतार किसी साधु-संन्यासी के मठ या आश्रम में नहीं हुआ; बल्कि भगवान के सभी अवतार गृहस्थ के घर में हुए हैं । गृहस्थाश्रम में ऐसी शक्ति है कि वह परमात्मा (ब्रह्म) को भी बालक बना लेता है । आज भी किसी का गृहस्थाश्रम यदि कश्यप ऋषि और उनकी पत्नी अदिति जैसा हो तो भगवान प्रकट होने के लिए तैयार हैं ।

सप्तर्षियों के पूजन का पर्व है ऋषि पंचमी

श्रीमद्भागवत के अनुसार सप्तर्षि भगवान श्रीहरि के अंशावतार अथवा कलावतार हैं; इसलिए ब्रह्मतेज और करोड़ों सूर्य की आभा से संपन्न हैं । गृहस्थ होते हुए भी ये मुनि-वृत्ति से रहते हैं । आकाश में सप्तर्षिमण्डल समस्त लोकों की मंगलकामना करते हुए भगवान विष्णु के परम पद ध्रुव लोक की प्रदक्षिणा किया करता है ।

‘गीत गोविन्द’ जिसका अंतिम पद स्वयं श्रीकृष्ण ने पूरा किया

भगवान जगन्नाथ जी का ही स्वरूप माने जाने वाले महाकवि जयदेव द्वारा रचित महाकाव्य ‘गीत गोविन्द’ की महिमा का वर्णन कौन कर सकता है ? जिस पर रीझ कर स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अपने हाथ से पद लिख कर उसे पूरा किया । जयदेव जी और उनकी पत्नी पद्मावती श्रीकृष्ण प्रेमरस में डूबे रहते थे । जयदेव जी को भगवान के दशावतारों के प्रत्यक्ष दर्शन हुए थे ।

मनुष्य के पतन का सबसे बड़ा कारण है अभिमान

अभिमान सबको दु:ख देता है । भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में सबसे सुन्दर जाम्बवती थीं । जाम्बवती के पुत्र साम्ब बलवान होने के साथ ही अत्यन्त रूपवान भी थे । इस कारण साम्ब बहुत अभिमानी हो गए । अपनी सुन्दरता का अभिमान ही उनके पतन का कारण बना ।

जग में सुंदर हैं दो नाम, चाहे कृष्ण कहो या राम

परमात्मा के सभी अवतारों की अपनी अलग विशेषता होती है । किसी अवतार में धर्म ही विशेंष रूप से प्रधान रहता है तो किसी में प्रेम और आनंद । कोई परमात्मा का मर्यादा पुरुषोत्तम अवतार है तो कोई लीला पुरुषोत्तम अवतार कहलाता है ।

भगवान जगन्नाथ जी का स्नान यात्रा महोत्सव

पुरुषोत्तम क्षेत्र (पुरी) में काष्ठ का शरीर धारण कर निवास करने वाले भगवान जगन्नाथ जी कलिकाल के साक्षात् परब्रह्म परमात्मा हैं; लेकिन वे सुबह से लेकर रात तक और ऋतुओं के अनुसार एक आदर्श गृहस्थ की तरह अनेक लीलाएं करते हैं । वे खाते-पीते हैं, गरमी में जलविहार करते हैं, स्नान करते हैं, उन्हें ज्वर भी आता है, औषधियों के साथ काढ़ा पीते हैं ।