morning prayer

प्रात:काल की अमृत बेला परमात्मा से बातचीत करने का समय है । इस समय सोकर उठते ही यदि परमपिता परमात्मा का नाम-स्मरण कर लिया जाए तो वह मनुष्य के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है । शास्त्रों में मनुष्य के कल्याण के लिए प्रात:काल स्मरण करने के लिए अनेक श्लोक बताए गए हैं । पाठकों के कल्याण के लिए यहां कुछ श्लोक (हिन्दी अर्थ सहित) दिए जा रहे हैं—

प्रात:काल उठते ही सबसे पहले दोनों हथेलियों का दर्शन करते हुए यह श्लोक बोलना चाहिए–

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती ।
करमूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते करदर्शनम् ।। (आचारप्रदीप)

कहीं पर यह श्लोक इस प्रकार मिलता है–

कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती ।
करमूले तु गोविन्द: प्रभाते करदर्शनम् ।। (आचारप्रदीप)

इस श्लोक में धन की देवी लक्ष्मी, विद्या की देवी सरस्वती तथा कर्म के अधिष्ठाता देव ब्रह्मा की स्तुति की गयी है । इस मन्त्र का आशय है कि मेरे हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, मध्य भाग में सरस्वती तथा मूल भाग में ब्रह्मा  (गोविन्द) निवास करते हैं । प्रभात काल में मैं हथेलियों में इनका दर्शन करता हूँ । इस श्लोक से धन और विद्या की प्राप्ति के साथ-साथ कर्तव्य-कर्म करने की प्रेरणा प्राप्त होती है । हम अपनी विवेक शक्ति से सदैव सत्कर्म करते रहें । कर दर्शन करने का आशय यह भी है कि प्रात:काल उठते ही मेरी दृष्टि कहीं और न जाकर अपने ही हाथ में देवताओं का दर्शन करे; जिससे दिन भर मेरे में सुबुद्धि बनी रहे और मेरे द्वारा कोई बुरा कार्य न हो ।

प्रात:काल त्रिदेवों के साथ नवग्रह का स्मरण

ब्रह्मा मुरारिस्त्रिपुरान्तकारी
भानु: शशी भूमिसुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्र: शनि राहु केतव:
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ।। (मार्कण्डेय स्मृति)

अर्थात्—ब्रह्मा, विष्णु, शिव, सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु—ये सभी मेरे प्रात:काल को मंगलमय करें ।

अकाल मृत्यु का नाश कर दीर्घायु प्रदान करने वाला प्रात:स्मरणीय श्लोक

अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनूमांश्च विभीषण: ।
कृप: परशुरामश्च सप्तैते चिरजीविन: ।।

सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम् ।
जीवेद् वर्षशतं साग्रमपमृत्युविवर्जित: ।।

अर्थात्—अश्वत्थामा, बलि, वेदव्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और परशुराम ये सात चिरंजीवी हैं । इन सातों और आठवें मार्कण्डेयजी का नित्य स्मरण करना चाहिए । इससे अकाल मृत्यु नहीं होती और व्यक्ति दीर्घायु प्राप्त करता है ।

सौभाग्य की वृद्धि के लिए प्रात:स्मरणीय श्लोक

उमा उषा च वैदेही रमा गंगेति पंचकम् ।
प्रातरेव पठेन्नित्यं सौभाग्यं वर्धते सदा ।।

अर्थात्—उमा, उषा, सीता, लक्ष्मी तथा गंगा इन पांच नामों का प्रात:काल पाठ करना चाहिए । इससे सौभाग्य की वृद्धि होती है ।

संकटनाश के लिए प्रात:स्मरणीय श्लोक

हरं हरिं हरिश्चन्द्रं हनूमन्तं हलायुधम् ।
पंचकं वै स्मरेन्नित्यं घोरसंकट नाशनम् ।।

भगवान शिव, भगवान विष्णु, हरिश्चन्द्र, हनुमान तथा बलराम का घोर संकट नाश के लिए सुबह नाम-स्मरण करना चाहिए।

प्रात:काल स्मरण किए जाने वाले श्लोकों का फल

  • इन श्लोकों के स्मरण करने से मनुष्य का दिन अच्छा बीतता है ।
  • उसके दु:स्वप्न, कलिकाल के दोष व शत्रु भय का नाश होता है ।
  • मन में धार्मिकता रहने से मनुष्य स्वस्थ रहता है ।
  • मनुष्य को भूख, प्यास व काम नहीं सताता है ।
  • मनुष्य सुख, सौभाग्य व समृद्धि प्राप्त करता है
  • मनुष्य दीर्घायु होता है ।
  • जीवन में हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है ।

जीवन जीना समय को ढोना नहीं बल्कि एक कला है । जीते तो सभी हैं परन्तु जिसने अपना जीवन सार्थक बना लिया, उसी का जीना सही मायने में जीना है ।

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here