कलियुग में सभी देवताओं में रुद्रावतार पवनपुत्र हनुमानजी का महत्व सर्वोपरि है । जिस समय हनुमानजी का जन्म हुआ, उस समय ब्रह्मा, विष्णु, महेश, यम, वरुण, कुबेर, अग्नि, वायु, इन्द्रादि ने इनको अनेक वर देकर अजर-अमर किया था । अखण्ड ब्रह्मचारी होने से हनुमानजी संसार में ज्यादा पूजे जाते हैं ।
आध्यात्म रामायण में कहा गया है—‘किसी एक देवता की आराधना एक ही फल प्रदान करती है किन्तु हनुमानजी की आराधना बुद्धि, बल, कीर्ति, धीरता, निर्भीकता, आरोग्य, व वाक्यपटुता आदि सभी कुछ प्रदान कर देती है ।’
हनुमानजी की ‘वीर’ या ‘दास’ दो रूपों में उपासना की जाती है—
▪️हनुमानजी की वीर रूप में उपासना से मनुष्य के सभी संकट दूर हो जाते हैं, रोग की पीड़ा समाप्त हो जाती है, दुर्गम काज सिद्ध होने लगते हैं और कुमति दूर होकर सुमति की प्राप्ति होने लगती है—‘दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।।’
▪️जबकि सुख, शान्ति व सम्पत्ति के लिए हनुमानजी की दास रूप की आराधना की जाती है ।
आषाढ़ शुक्ल ‘देवशयनी’ एकादशी से कार्तिक शुक्ल ‘देवप्रबोधिनी’ एकादशी—चातुर्मास के १२१ दिन तक प्रतिदिन या फिर यह सम्भव न हो तो प्रत्येक मंगलवार को इस विशेष उपाय को करने से मनुष्य के सारे अनिष्ट दूर हो जाते हैं । यदि मन्दिर जाना संभव न हो तो घर पर ही हनुमानजी के चित्रपट या मूर्ति को स्थापित कर यह विशेष पूजन कर सकते हैं ।
विशेष बात
अपने संकट दूर करने के लिए ही अनुष्ठान करें, किसी दूसरे के अनिष्ट की इच्छा से कभी भी कोई पूजा-पाठ नहीं करना चाहिए । अन्यथा इसका परिणाम बहुत भयंकर होता है ।
संकटनाश के लिए हनुमानजी की विशेष पूजा
- प्रात:काल स्नान आदि कर शुद्ध वस्त्र धारण करें । फिर हनुमानजी का पूजन करें । पूजन पूरी श्रद्धा, भक्ति व समर्पण के साथ करना चाहिए ।
- हनुमानजी को केसर चन्दन व तैल-मिश्रित सिन्दूर लगावें ।
- लाल-पीले पुरुषवाची पुष्प जैसे—गुलाब, गेंदा, सूरजमुखी अर्पण करें ।
- नैवेद्य में गुड़, नारियल का गोला, गेहूँ का चूरमा जो भी सम्भव हो भोग अर्पित करें ।
- फिर ये विशेष उपाय करें—
- 108 तुलसीपत्र लें । तुलसी का बड़ा पत्ता लें ।
- कदम्ब की शाखा को छीलकर कलम बना लें ।
- अष्टगंध से प्रत्येक तुलसीपत्र पर ‘राम’ नाम लिखें ।
- फिर उन 108 तुलसीपत्रों को ’ॐ हनुमते नम:’ मन्त्र का उच्चारण करते हुए एक-एक पत्ता हनुमानजी के सिर पर धारण करावें ।
- फिर इस श्लोक का 108 बार पाठ करें—
आपदामपहन्तारं दातारं सर्वसम्पदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ।।
इस प्रयोग को प्रतिदिन या मंगलवार को करने से समस्त अनिष्ट, संकट और विपत्तियां दूर हो जाती हैं । मनुष्य की मनोकामनाओं की पूर्ति के साथ परिवार में सुख-समृद्धि आने लगती हैं ।
कृपा के निधान हनुमान ! सुनो महरबान, कहूँ मैं सुजान ध्यान मेरी ओर दीजिये ।
दीनों के जीवन-प्रान, दूसरो न देख्यो आन, संकट महान जान, मेरी सुध लीजिये ।।
भगतों की राखो शान, हृदय प्रकाशो ज्ञान, गाऊं गुण-गान, राम-रंग रंग दीजिये ।
स्वयं विराजमान, सकल गुणों की खान, ‘जेठू’ कहे हनुमान ! भक्ति-भाव दीजिये ।।
(श्रीजेठमलजी व्यास ‘मास्टर’)