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श्रीराधा की नाममाला में गूंथा है ‘आनन्दचन्द्रिका’ स्तोत्र

श्रीरूपगोस्वामीजी ने श्रीराधा के दस नामों की माला पिरोकर ‘आनन्दचन्द्रिका’ नामक स्तवराज (स्तोत्रों का राजा) लिखा जो भक्तों के समस्त क्लेशों दूर करने वाला और परम सौभाग्य देने वाला है ।

हजार नामों के समान फल देने वाले श्रीगणेश के 21 नाम

श्रीगणेश का कथन है—जो व्यक्ति इन मोदक रूपी 21 नामों द्वारा मुझे भक्तिपूर्वक उपहार अर्पित करता है; मेरा प्रसाद चाहता है और मनोकामना पूर्ति के लिए एक वर्ष तक मुझ विघ्नराज के इस स्तोत्र का पाठ करता है, मुझमें मन लगाकर, मेरी आराधना में तत्पर रहकर मेरा स्तवन करता है, इन 21 नामों को पढ़ने से ही मेरी सहस्त्रनाम से स्तुति हो जाती है, इसमें कोई संशय नहीं है ।

दु:ख, दुर्भाग्य व दरिद्रता नाशक भगवान शिव का प्रदोष स्तोत्र

दरिद्रता और ऋण के भार से दु:खी व संसार की पीड़ा से व्यथित मनुष्यों के लिए प्रदोष पूजा व व्रत पार लगाने वाली नौका के समान है । स्कन्दपुराण के अनुसार जो लोग प्रदोष काल में भक्तिपूर्वक भगवान शिव की पूजा करते हैं, उन्हें धन-धान्य, स्त्री-पुत्र व सुख-सौभाग्य की प्राप्ति और उनकी हर प्रकार की उन्नति होती है ।

भगवान विष्णु को समर्पित षट्पदी स्तोत्र

सच्चे हृदय से इन नियमों का पालन क्रमश: मनुष्य के मन को सच्ची भक्ति की ओर ले जाता है । इन एक-एक सोपानों पर चढ़ते हुए मन धीरे-धीरे पूर्णता की ओर अर्थात् मोक्ष की ओर अग्रसर होता है ।

हर प्रकार के ऋणों से मुक्ति देने वाला गणेश स्तोत्र

ऋणहर स्तोत्र दारुण दरिद्रता का नाश करने वाला है । इसका एक वर्ष तक प्रतिदिन एक बार एकाग्र मन से पाठ करने पर दुस्सह दरिद्रता दूर हो जाती है और मनुष्य को कुबेर के समान धन-सम्पत्ति प्राप्त होती है ।

भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम

भगवान के भक्त को भगवान जितने प्यारे लगते हैं, उनका नाम भी उसे उतना ही प्यारा लगता है; क्योंकि तेज:स्वरूप श्रीकृष्ण ही नामरूप में प्रकट होते हैं । अत: भगवान का नाम हमारी जिह्वा पर आ गया तो स्वयं भगवान ही हमारी जिह्वा पर आ गए ।

श्रीकृष्ण कृपा और भक्ति देने वाला ‘श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र’

श्रीकृष्ण कृपाकटाक्ष स्तोत्र (कृष्णाष्टक) भगवान श्रीशंकराचार्य द्वारा रचित बहुत सुन्दर स्तुति है । बिना जप, बिना सेवा एवं बिना पूजा के भी केवल इस स्तोत्र मात्र के नित्य पाठ से ही श्रीकृष्ण कृपा और भगवान श्रीकृष्ण के चरणकमलों की भक्ति प्राप्त होती है।

दस प्रकार के पापों से मुक्ति का पर्व गंगा दशहरा

दशहरे के दिन मनुष्य को गंगाजी की दस प्रकार के फूलों, दस प्रकार की गन्ध, दस प्रकार के नैवेद्य (भोग), दस ताम्बूल और दस दीपों से पूजा करनी चाहिए । इसके बाद इस मन्त्र की एक माला करनी चाहिए ।

क्या आपको स्वप्न में साँप दिखायी देते हैं?

युधिष्ठिर को राजसूय यज्ञ का वह पुण्य क्यों नहीं मिला जो एक ब्राह्मण परिवार ने भूखे अतिथि को केवल सत्तू के दान से प्राप्त किया ।