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केदारनाथ जहां आज भी इन्द्र नित्य शिवपूजन के लिए आते हैं

इन्द्र ने कहा—‘भगवन् ! मैं प्रतिदिन स्वर्ग से यहां आकर आपकी पूजा करुंगा और इस कुण्ड का जल भी पीऊंगा । आपने महिष के रूप में यहां आकर ‘के दारयामि’ कहा है, इसलिए आप केदार नाम से प्रसिद्ध होंगे ।’

भगवान शिव मस्तक पर चन्द्रमा और गले में मुण्डमाला क्यों धारण...

भगवान शिव के चन्द्रकला व मुण्डमाला धारण करने का गूढ़ रहस्य है । चन्द्रकला धारण करने का कारण है कि उनके ललाट की ऊष्मा, जो त्रिलोकी को भस्म करने में सक्षम हैं, उन्हें पीड़ित न करे । शिव का मुण्डमाल मरणशील प्राणी को सदैव मृत्यु का स्मरण कराता है जिससे वह दुष्कर्मों से दूर रहे।

किस कामना के लिए करें कौन से पुष्प से शिव पूजा

भगवान शिव की पूजा के पुष्प भगवान शिव पर फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है । बिल्व पत्र और...

शिव पूजन में बम बम भोले क्यों कहते हैं ?

शिव पूजा चाहें वह श्रावण मास में करें या नित्य, भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए पूजा के अंत में गाल बजाकर ‘बम बम भोले’ या ‘बोल बम बम’ का उच्चारण किया जाता है ।

पार्वती को क्यों करना पड़ा शिव को दान

पार्वतीजी सोचने लगीं–‘मैंने यह कैसी मूर्खता की, पुत्र के लिए एक वर्ष तक पुण्यक व्रत करने में इतना कष्ट भोगा पर फल क्या मिला? पुत्र तो मिला ही नहीं, पति को भी खो बैठी। अब पति के बिना पुत्र कैसे होगा?’

कभी विष्णु कभी शिव बन भक्त को छकाते भगवान

तीन बार ऐसा हुआ कि आंखें बंद करने पर शंकर और आंखें खोलने पर विट्ठल भगवान के दर्शन होते थे । तब नरहरि सुनार को आत्मबोध हुआ कि जो शंकर हैं, वे ही विट्ठल (विष्णु) हैं और जो विट्ठल हैं, वे ही शंकर हैं, दोनों एक ही हरिहर हैं ।

अमृत पर्व ‘कुम्भ’

कुम्भ पर्व मनाने का यही रहस्य है कि मनुष्य तीर्थ में आकर पवित्र नदियों के जल में स्नान करे, संतों के उपदेश से ज्ञान रूपी अमृत को प्राप्त करे, और सत्य, दान, तप और यज्ञ के द्वारा शुभ कर्म करे जिससे मृत्यु के बाद उसकी सद्गति हो, अधम गति या दुर्गति बिल्कुल न हो ।

ब्रह्मा के गर्वहरण के लिए शंकरजी का भैरव अवतार

देवी के 51 शक्तिपीठों की रक्षा कालभैरव भिन्न-भिन्न नाम व रूप धारण करके करते हैं और भक्तों की प्रार्थना मां दुर्गा तक पहुंचाते हैं ।

हरियाली अमावस्या : पार्वतीजी की परीक्षा का दिन

ऐसा माना जाता है कि हरियाली अमावस्या के दिन पार्वतीजी के तप की परीक्षा लेने के लिए शंकरजी ने सप्त ऋषियों को पार्वतीजी के पास भेजा था ।

शिव को अतिप्रिय रुद्राभिषेक और रुद्राष्टाध्यायी

भगवान शिव के मनभावन श्रावणमास में और शिवरात्रि पर प्राय: सभी शिवमन्दिरों में रुद्राभिषेक या रुद्री पाठ की बहार देखने को मिलती...