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प्रदोष में शिव आराधना है महाफलदायी

प्रदोषकाल में भक्तिपूर्वक भगवान सदाशिव की पूजा करते हैं, उन्हें धन-धान्य, स्त्री-पुत्र व सुख-सौभाग्य की प्राप्ति और हर प्रकार की अभिवृद्धि होती है ।

दु:खनाश के लिए भगवान शिव के ग्यारह रुद्ररूप

आध्यात्मिक दृष्टि से दस इन्द्रियां और मन—ये ग्यारह प्राण ही एकादश रुद्र हैं । ये निकलने पर प्राणियों को रुलाते हैं, इसलिए ‘रुद्र’ कहे जाते हैं।

पंचमुखी हनुमान में है भगवान के पांच अवतारों की शक्ति

पंचमुखी हनुमानजी में भगवान के पांच अवतारों की शक्ति समायी है, इसलिए महानतम ऊर्जा के धनी हनुमानजी कठिन-से-कठिनतम किसी भी कार्य या समस्या को चुटकी बजाते हुए हल कर देते है ।

यमराज को मिला मृत्युदण्ड

प्रबल प्रेम के पाले पड़कर शिव को नियम बदलते देखा । उनका मान टले टल जाये, भक्त का बाल-बांका न होते देखा ।। जब से भगवान...

क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए ?

सौवर्णे नवरत्नखण्ड रचिते पात्रे घृतं पायसं भक्ष्यं पंचविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्। शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु।। (शिवमानसपूजा) अर्थात्—मैंने नवीन रत्नजड़ित सोने के...

भगवान का पेट कब भरता है?

पूजन-कर्म करते समय रखें इस बात का ध्यान

तीर्थयात्रा का फल

घर पर रह कर भी कैसे पा सकते हैं तीर्थयात्रा का फल

क्यों करते हैं भगवान अपने भक्तों की चाकरी ?

विद्यापति के लिखे पदों को सुनने के लिए भोलेनाथ ने धरा सेवक ‘उगना’ का रूप

जलधारा, पुष्पों व धान्यों से शिवपूजा का फल

भगवान शिव ने अपने कण्ठ में कालकूट विष को धारण कर रखा है। उस विषाग्नि को शान्त करने के लिए उनके मस्तक पर गंगा और चन्द्रकला दो फायरब्रिगेड का कार्य करते हैं। उसी विषाग्नि की तीव्रता को शान्त करने के लिए भगवान शिव का शीतल वस्तुओं से अभिषेक किया जाता है। जैसे--कच्चा दूध, गंगाजल, पंचामृत, गुलाबजल, इक्षुरस (गन्ने का रस), चंदन मिश्रित जल, कुश-पुष्पयुक्त जल, सुवर्ण एवं रत्नयुक्त जल (रत्नोदक) व नारियल का जल आदि।

शिवपूजन और बिल्वपत्र

विष्णुप्रिया लक्ष्मीजी के वक्ष:स्थल से प्रादुर्भूत हुआ बिल्ववृक्ष, बिल्वपत्र से ही शिवपूजन की पूर्णता, मनोकामनापूर्ति, संकटनाश व सुख-सम्पत्ति के लिए इस मन्त्र के साथ चढ़ाएं बेलपत्र : भालचन्द्र मद भरे चक्ष, शिव कैलास निवास, भूतनाथ जय उमापति पूरी मो अभिलाष। शिव समान दाता नहीं, विपति विदारन हार, लज्जा मेरी राखियो सुख सम्पत्ति दातार।।