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भगवान का अमोघ अस्त्र : सुदर्शन चक्र
भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय आयुध सुदर्शन चक्र अत्यन्त वेगवान व जलती हुई अग्नि की तरह शोभायमान और समस्त शत्रुओं का नाश करने वाला है । सुदर्शन चक्र का ध्यान करने से श्रीकृष्ण की प्राप्ति होती है और हमेशा के लिए भक्तों का भय दूर हो जाता है व जीवन संग्राम में विजय प्राप्त होती है ।
देवी सरस्वती की पूजाविधि और मन्त्र
देवी सरस्वती विद्या, बुद्धि, ज्ञान और वाणी की अधिष्ठात्री देवी हैं और शब्द-ब्रह्म के रूप में इनकी उपासना की जाती है । विद्या को ही मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ धन माना गया है । देवी सरस्वती की पूजा-उपासना के लिए माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी (बसंत पंचमी) तिथि निर्धारित की गयी है ।
वास्तु देवता कौन हैं ?
वास्तुदेवता की पूजा के लिए वास्तु की प्रतिमा तथा वास्तुचक्र बनाया जाता है । वास्तुचक्र अनेक प्रकार के होते हैं । अलग-अलग अवसरों पर भिन्न-भिन्न पद के वास्तुचक्र बनाने का विधान है । वास्तु कलश में वास्तुदेवता (वास्तोष्पति) की पूजा कर उनसे सब प्रकार की शान्ति व कल्याण की प्रार्थना की जाती है ।
भगवान विष्णु का द्वादशाक्षर मन्त्र
द्वादशाक्षर मन्त्र बहुत ही प्रभावशाली मन्त्र है । मनुष्य सत्कर्म करते हुए सोते-जागते, चलते, उठते भगवान के इस द्वादशाक्षर मन्त्र का निरन्तर जप करता है तो वह सभी पापों से छूट कर सद्गति को प्राप्त होता है । लक्ष्मी की बड़ी बहिन अलक्ष्मी (दरिद्रा) भगवान के नाम को सुनकर उस घर से तुरन्त भाग खड़ी होती है ।
कर्मफलदाता शनिदेव : एक परिचय
शनिदेव का रंग काला, अवस्था वृद्ध, आकृति दीर्घ, लिंग नपुंसक, वाहन गिद्ध, वार शनिवार, धातु लोहा, रत्न नीलम, उपरत्न जमुनिया या लाजावर्त, जड़ी बिछुआ, बिच्छोलमूल (हत्था जोड़ी) व समिधा शमी है ।
रक्षाबन्धन पर्व : इतिहास एवं पूजा विधि
रक्षाबन्धन का अर्थ है रक्षा का भार जिसका तात्पर्य है कि मुसीबत में भाई बहन का साथ दे या बहन भाई का साथ दे । द्रौपदी ने भगवान कृष्ण को अपनी धोती का चीर (कच्चा धागा) बांधा था और मुसीबत पड़ने पर श्रीकृष्ण ने द्रौपदी की रक्षा की ।
मां दुर्गा का सर्वश्रेष्ठ मन्त्र : नवार्ण मन्त्र
मां दुर्गा के तीन चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मन्त्र का निर्माण हुआ है। नवार्ण मन्त्र मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष के समान है। यह मन्त्र उपासकों को आनन्द और ब्रह्मसायुज्य देने वाला है। अत: नवार्ण मन्त्र के जाप करने से ही दुर्गा के तीनों स्वरूपों को प्रसन्न कर मनोवांछित फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
भगवान श्रीराम का विजय-मन्त्र
जब हनुमानजी संकट में थे, तब सबसे पहले ‘श्रीराम जय राम जय जय राम’ मन्त्र नारदजी ने हनुमानजी को दिया था । इसलिए संकट-नाश के लिए इस मन्त्र का जप मनुष्य को अवश्य करना चाहिए । यह मन्त्र ‘मन्त्रराज’ कहलाता है ।
अनिद्रा और दु:स्वप्न नाश के 8 प्रभावशाली मन्त्र
हमारा मन जितना-जितना परमात्मा की ओर झुकता जाएगा, उतनी-उतनी मन में शान्ति आती जाएगी । जहां शान्ति आयी, मन प्रसन्न हो जाएगा । प्रसन्नता आने पर मन का उद्वेग मिट जाता है । उद्वेग मिटना ही दु:खों की समाप्ति है ।’ यही अच्छी व गहरी नींद का मूल मन्त्र है।
क्या आपको स्वप्न में साँप दिखायी देते हैं?
युधिष्ठिर को राजसूय यज्ञ का वह पुण्य क्यों नहीं मिला जो एक ब्राह्मण परिवार ने भूखे अतिथि को केवल सत्तू के दान से प्राप्त किया ।