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घोर संकट व भय का नाश करने वाली देवी दुर्गा की...
एक बार देवताओं ने देवी से कहा—‘जगत के कल्याण के लिए हम आपसे पूछना चाहते हैं कि ऐसा कौन-सा उपाय है, जिससे शीघ्र प्रसन्न होकर आप संकट में पड़े हुए जीव की रक्षा करती हैं ।’
मानव शरीर एक देवालय है
परब्रह्म परमात्मा ने जब विश्व की रचना की, तब वैसा ही मनुष्य का शरीर भी बनाया—‘यद् ब्रह्माण्डे तत् पिण्डे’ । वैसे तो परमात्मा ने अपनी माया से चौरासी हजार योनियों की रचना की, परन्तु उन्हें संतोष न हुआ । जब उन्होंने मनुष्य शरीर की रचना की को वे बहुत प्रसन्न हुए; क्योंकि मनुष्य ऐसी बुद्धि से युक्त है जिससे वह परमात्मा का साक्षात्कार कर सकता है ।
51 शक्तिपीठों में शिरोमणि : हिंगलाज शक्तिपीठ
ऐसी मान्यता है कि आसाम की कामाख्या, तमिलनाडु की कन्याकुमारी, कांची की कामाक्षी, गुजरात की अम्बादेवी, प्रयाग की ललिता, विंध्याचल की अष्टभुजा, कांगड़ा की ज्वालामुखी, वाराणसी की विशालाक्षी, गया की मंगला देवी, बंगाल की सुंदरी, नेपाल की गुह्येश्वरी और मालवा की कालिका—इन बारह रूपों में आद्या शक्ति मां हिंगलाज सुशोभित हो रही हैं । कहा जाता है कि हर रात सभी शक्तियां यहां मिल कर रास रचाती हैं और दिन निकलते ही हिंगलाज देवी में समा जाती हैं ।
भगवान व्यास कृत भगवती स्तोत्र
जो मनुष्य कहीं भी रह कर पवित्र भावना से नियमपूर्वक इस व्यासकृत स्तोत्र का पाठ करता है, अथवा शुद्ध भाव से घर पर ही पाठ करता है, उसके ऊपर भगवती (दुर्गा) सदा ही प्रसन्न रहती हैं ।
हरसिद्धि शक्ति पीठ, उज्जैन
मां हरसिद्धि आज भी बहुत सिद्ध मानी जाती हैं । उनकी शरण में जाने पर और मनौती मनाने पर अवश्य ही सबकी मनोकामना पूरी होती है । मां वैष्णवी हैं इसलिए इनकी पूजा में पशु बलि नहीं चढ़ाई जाती है ।
हरसिद्धि मन्दिर में मां का आशीष सदैव झरता रहता है ।
12 प्रमुख देवियों के चित्र (वास्तविक दर्शन)
पराम्बा देवी पार्वती बारह रूपों में इन बारह स्थानों पर विराजमान हैं । देवी के इन पवित्र विग्रहों के दर्शन करने मात्र से मनुष्य सभी पापों से छूट जाता है और यदि वह नित्य प्रात:काल एकाग्र मन से देवी पार्वती के इन बारह विग्रहों का स्मरण करे तो सभी अपराधों से मुक्त हो जाता है ।
देवी की पूजा में ज्योति क्यों जगायी जाती है ?
देवी की पूजा—अष्टमी, नवरात्र व जागरण आदि में माता के ज्योति अवतार के रूप में ज्योति जगायी जाती है और देवी की प्रतीक ज्योति में लोंग का जोड़ा, बताशा, नारियल की गिरी, घी, हलुआ-पूरी आदि का भोग लगाया जाता है ।
सर्पभय और सर्पविष से मुक्ति देने वाली देवी मनसा
जिस भवन, घर या स्थान पर सर्प रहते हों वहां इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य सर्पभय से मुक्त हो जाता है । जो मनुष्य इस स्तोत्र को नित्य पढ़ता है उसे देखकर नाग भाग जाते हैं । दस लाख पाठ करने से यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है । जिस मनुष्य को यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है उस पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह नागों को आभूषण बनाकर धारण कर सकता है ।
मां दुर्गा का सर्वश्रेष्ठ मन्त्र : नवार्ण मन्त्र
मां दुर्गा के तीन चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मन्त्र का निर्माण हुआ है। नवार्ण मन्त्र मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष के समान है। यह मन्त्र उपासकों को आनन्द और ब्रह्मसायुज्य देने वाला है। अत: नवार्ण मन्त्र के जाप करने से ही दुर्गा के तीनों स्वरूपों को प्रसन्न कर मनोवांछित फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
घर पर देवी पूजा की सरल विधि
मां को अपने बच्चों से केवल प्रेम चाहिए और कुछ नहीं । अत: इनमें से जो भी वस्तु घर में उपलब्ध हो, अगर वह अपनी श्रद्धा और सामर्थ्यानुसार मां को अर्पित कर दी जाए तो वह उससे भी प्रसन्न हो जाती हैं । इतनी पूजा अगर रोज न कर सकें तो अष्टमी और नवरात्रों में इस पूजा-विधि को अपना सकते हैं ।