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भगवान सूर्य का परिवार
भगवान सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैं । आदित्य लोक में भगवान सूर्य साकार रूप से विद्यमान हैं । वे रक्त कमल पर विराजमान हैं, उनका वर्ण हिरण्यमय है । उनकी चार भुजाएं हैं, जिनमें दो हाथों में वे पद्म धारण किए हुए हैं और दो हाथ अभय तथा वर मुद्रा से सुशोभित हैं । वे सात घोड़ों के रथ पर सवार हैं और गरुड़ के छोटे भाई अरुण उनके रथ के सारथि हैं ।
कर्मफलदाता शनिदेव : एक परिचय
शनिदेव का रंग काला, अवस्था वृद्ध, आकृति दीर्घ, लिंग नपुंसक, वाहन गिद्ध, वार शनिवार, धातु लोहा, रत्न नीलम, उपरत्न जमुनिया या लाजावर्त, जड़ी बिछुआ, बिच्छोलमूल (हत्था जोड़ी) व समिधा शमी है ।
राजा नल को कैसे मिली शनि पीड़ा से मुक्ति ?
नवग्रहों में शनि को दण्डनायक व कर्मफलदाता का पद दिया गया है । यदि कोई अपराध या गलती करता है तो उनके कर्मानुसार दण्ड का निर्णय शनिदेव करते हैं । वे अकारण ही किसी को परेशान नहीं करते हैं, बल्कि सबको उनके कर्मानुसार ही दण्ड का निर्णय करते हैं ।