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देवी तुलसी और शालग्राम : प्रादुर्भाव कथा
तुलसी के शरीर से गण्डकी नदी उत्पन्न हुई और भगवान श्रीहरि उसी के तट पर मनुष्यों के लिए पुण्यप्रद शालग्राम बन गए । तुलसी अपना वह शरीर त्याग कर और दिव्य रूप धारण करके श्रीहरि के वक्ष:स्थल पर लक्ष्मी की भांति सुशोभित होने लगीं ।
नित्य तुलसी पूजा की संक्षिप्त विधि
जो दर्शन करने ने पर सारे पापों का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचे जाने पर यमराज को भी भय पहुंचाती है, आरोपित किए जाने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों पर चढ़ाये जाने पर मोक्षरूपी फल प्रदान करती है, उन तुलसीदेवी को नमस्कार है ।