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वेदमाता गायत्री : तीन नाम, तीन रूप और तीन ध्यान
गायत्री यद्यपि एक वेद का छन्द है, लेकिन इसकी एक देवी के रूप में मान्यता है । एक ही ईश्वरीय शक्ति जब भिन्न-भिन्न स्थितियों में होती है, तब भिन्न-भिन्न नामों से पुकारी जाती है । गायत्री को तीन नामों से पुकारा जाता है । आरम्भ, तरुणाई और परिपक्वता—इन तीन भेदों के कारण एक ही गायत्री शक्ति के तीन नाम रखे गए हैं । आरम्भिक अवस्था में गायत्री, मध्य अवस्था में सावित्री और अंत अवस्था में सरस्वती ।
मां सरस्वती के विद्या-प्रदायक 12 नाम
मां सरस्वती के इन चमत्कारी सिद्ध 12 नामों के नित्य तीन बार पाठ करने से मनुष्य की जिह्वा के अग्र भाग पर सरस्वती विराजमान हो जाती है अर्थात् जो भी बात वह कहता है वह पूरी हो जाती है । महर्षि, वाल्मीकि, व्यास, वशिष्ठ, विश्वामित्र और शौनक आदि ऋषि सरस्वतीजी की साधना से ही सिद्ध हुए ।