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दस महाविद्याओं की आराधना का पर्व है गुप्त नवरात्रि

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या की साधना से साधक की आंतरिक शक्तियों का जागरण होता है । साथ ही हर कार्य में विजय, धन-धान्य, ऐश्वर्य, यश, कीर्ति और पुत्र प्राप्ति के साथ ही मोक्ष की भी प्राप्ति होती है । इसके अतिरिक्त दस महाविद्या की कृपा से मारण, मोहन, उच्चाटन, वशीकरण, स्तम्भन आदि प्रयोग सिद्ध होते हैं ।

कन्या-पूजन के बिना नहीं होता नवरात्र-व्रत पूरा

कन्या-पूजन करते समय नहीं चुनें इन कन्याओं को, कैसे करें कन्या-पूजन

कैसे करें नवरात्रि में कलश की स्थापना ?

कलश-स्थापन क्यों किया जाता है? कौन-से योग व नक्षत्रों में कलश-स्थापन नहीं करना चाहिए?

करुणामयी मां शताक्षी (शाकम्भरी)

पुत्र कष्ट में हों तो मां कैसे सहन कर सकती है? फिर देवी तो जगन्माता हैं, उनके कारुण्य की क्या सीमा? त्रिलोकी की ऐसी व्याकुलता देखकर मां के अंत:स्तल में उठने वाला करुणा का आवेग अकुलाहट के साथ आंसू की धारा बनकर बह निकला। नीली-नीली कमल जैसी दिव्य आंखों में मां की ममता आंसू बनकर उमड़ आयी। दो आंखों से हृदय का दु:ख कैसे प्रकट होता? जगदम्बा ने कमल-सी कोमल सैंकड़ों आंखें बना लीं। सैंकड़ों आंखों से करुणा के आंसुओं की अजस्त्र धारा बह निकली।। इसी रूप में माता ने सबको अपने दर्शन कराए और जगत में ‘शताक्षी’ (शत अक्षी) कहलाईं। करुणार्द्र-हृदया मां व्याकुल होकर लगातार नौ दिन और नौ रात तक रोती रहीं।

मां दुर्गा का नवार्ण मन्त्र : आनन्ददायक एवं क्लेशनिवारक

मां दुर्गा के तीन चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मन्त्र का निर्माण हुआ है। नवार्ण मन्त्र मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष के समान है। यह मन्त्र उपासकों को आनन्द और ब्रह्मसायुज्य देने वाला है। दुर्गा के तीन चरित्रों में महाकाली की आराधना से माया-मोह एवं वितृष्णा का नाश होता है। महालक्ष्मी सभी प्रकार के वैभवों से परिपूर्ण कर बुराई से लड़ने की शक्ति देती हैं तथा महासरस्वती किसी भी संकट से जूझकर पार उतरने वाली बुद्धि और विद्या प्रदान करती हैं। अत: नवार्ण मन्त्र के जाप करने से ही दुर्गा के तीनों स्वरूपों को प्रसन्न कर मनोवांछित फल प्राप्त किए जा सकते हैं।

इक्यावन शक्तिपीठ जहां सती के अंग गिरे

सती का शरीर यद्यपि मृत हो गया था, किन्तु वह महाशक्ति का निवासस्थान था। अर्धनारीश्वर भगवान शंकर उसी के द्वारा उस महाशक्ति में रत थे। अत: मोहित होने के कारण उस शवशरीर को छोड़ न सके। भगवान शंकर छायासती के शवशरीर को कभी सिर पर, कभी दांये हाथ में, कभी बांये हाथ में तो कभी कन्धे पर और कभी प्रेम से हृदय से लगाकर अपने चरणों के प्रहार से पृथ्वी को कम्पित करते हुए नृत्य करने लगे। शिव के चरणप्रहारों से पीड़ित होकर कच्छप और शेषनाग धरती छोड़ने लगे। ब्रह्माजी की आज्ञा से ऋषिगण स्वस्तिवाचन करने लगे। देवताओं को चिन्ता हुई कि यह कैसी विपत्ति आ गयी। ये जगत्संहारक रुद्र कैसे शान्त होंगे?

आद्याशक्ति दुर्गा और नवरात्र

देवीपुराण के अनुसार दुर्गा शब्द में ‘द’कार दैत्यनाशक, ‘उ’कार विघ्ननाशक, ‘रेफ’ रोगनाशक, ‘ग’कार पापनाशक तथा ‘आ’कार भयशत्रुनाशक है। अत: ‘दुर्गा दुर्गतिनाशिनी’--का अर्थ ही है ‘जो दुर्गति का नाश करे’ क्योंकि यही पराशक्ति पराम्बा दुर्गा ब्रह्मा, विष्णु और महेश की शक्ति है।

Maa Durga 3 aartis for Navratri puja

Aarti for Navratri Puja