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गुरु कृपा रूपी रक्षा कवच
एक दिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सरयू नदी में स्नान कर जब बाहर निकले तो हनुमान जी ने देखा कि प्रभु की कमर पर पांच अंगुलियों का एक नीला निशान स्पष्ट दिखाई दे रहा है । आश्चर्यचकित होकर हनुमान जी सोचने लगे कि मेरे प्रभु की कमर पर इतनी गहरी चोट का निशान कहां से आया ? मेरे रहते हुए किसने प्रभु को चोट पहुंचाई है ।
बापू के बंदर-गुरु
भगवान की तीन नियामतें हैं—आंख, कान और वाणी । इन नियामतों का हम चाहे सदुपयोग करें, चाहे दुरुपयोग, यह हमारे हाथ की बात है और यही उपदेश है बापू के इन तीन बंदरों का ।
नामदेवजी की अद्भुत परीक्षा
नामदेवजी विसोबा के पांव इधर-उधर करने लगे किन्तु वे जहां भी विसोबा का पांव रखते थे वहीं पर शिवलिंग प्रकट हो जाता था और इस प्रकार सारा मन्दिर शिवलिंग से भर गया । नामदेव यह देखकर आश्चर्य में पड़ गये और गुरु के चरणों में गिर पड़े ।
ज्ञान के आदर व पूजन का पर्व गुरुपूर्णिमा
गुरुपूजा का अर्थ किसी व्यक्ति का पूजन या आदर नहीं है; वरन् उस गुरु की देह में स्थित ज्ञान का आदर है, ब्रह्मज्ञान का पूजन है।