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वेदमाता गायत्री : तीन नाम, तीन रूप और तीन ध्यान
गायत्री यद्यपि एक वेद का छन्द है, लेकिन इसकी एक देवी के रूप में मान्यता है । एक ही ईश्वरीय शक्ति जब भिन्न-भिन्न स्थितियों में होती है, तब भिन्न-भिन्न नामों से पुकारी जाती है । गायत्री को तीन नामों से पुकारा जाता है । आरम्भ, तरुणाई और परिपक्वता—इन तीन भेदों के कारण एक ही गायत्री शक्ति के तीन नाम रखे गए हैं । आरम्भिक अवस्था में गायत्री, मध्य अवस्था में सावित्री और अंत अवस्था में सरस्वती ।
51 शक्तिपीठों में शिरोमणि : हिंगलाज शक्तिपीठ
ऐसी मान्यता है कि आसाम की कामाख्या, तमिलनाडु की कन्याकुमारी, कांची की कामाक्षी, गुजरात की अम्बादेवी, प्रयाग की ललिता, विंध्याचल की अष्टभुजा, कांगड़ा की ज्वालामुखी, वाराणसी की विशालाक्षी, गया की मंगला देवी, बंगाल की सुंदरी, नेपाल की गुह्येश्वरी और मालवा की कालिका—इन बारह रूपों में आद्या शक्ति मां हिंगलाज सुशोभित हो रही हैं । कहा जाता है कि हर रात सभी शक्तियां यहां मिल कर रास रचाती हैं और दिन निकलते ही हिंगलाज देवी में समा जाती हैं ।
हरसिद्धि शक्ति पीठ, उज्जैन
मां हरसिद्धि आज भी बहुत सिद्ध मानी जाती हैं । उनकी शरण में जाने पर और मनौती मनाने पर अवश्य ही सबकी मनोकामना पूरी होती है । मां वैष्णवी हैं इसलिए इनकी पूजा में पशु बलि नहीं चढ़ाई जाती है ।
हरसिद्धि मन्दिर में मां का आशीष सदैव झरता रहता है ।
12 प्रमुख देवियों के चित्र (वास्तविक दर्शन)
पराम्बा देवी पार्वती बारह रूपों में इन बारह स्थानों पर विराजमान हैं । देवी के इन पवित्र विग्रहों के दर्शन करने मात्र से मनुष्य सभी पापों से छूट जाता है और यदि वह नित्य प्रात:काल एकाग्र मन से देवी पार्वती के इन बारह विग्रहों का स्मरण करे तो सभी अपराधों से मुक्त हो जाता है ।
मां सरस्वती के विद्या-प्रदायक 12 नाम
मां सरस्वती के इन चमत्कारी सिद्ध 12 नामों के नित्य तीन बार पाठ करने से मनुष्य की जिह्वा के अग्र भाग पर सरस्वती विराजमान हो जाती है अर्थात् जो भी बात वह कहता है वह पूरी हो जाती है । महर्षि, वाल्मीकि, व्यास, वशिष्ठ, विश्वामित्र और शौनक आदि ऋषि सरस्वतीजी की साधना से ही सिद्ध हुए ।
देवी की पूजा में ज्योति क्यों जगायी जाती है ?
देवी की पूजा—अष्टमी, नवरात्र व जागरण आदि में माता के ज्योति अवतार के रूप में ज्योति जगायी जाती है और देवी की प्रतीक ज्योति में लोंग का जोड़ा, बताशा, नारियल की गिरी, घी, हलुआ-पूरी आदि का भोग लगाया जाता है ।
सर्पभय और सर्पविष से मुक्ति देने वाली देवी मनसा
जिस भवन, घर या स्थान पर सर्प रहते हों वहां इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य सर्पभय से मुक्त हो जाता है । जो मनुष्य इस स्तोत्र को नित्य पढ़ता है उसे देखकर नाग भाग जाते हैं । दस लाख पाठ करने से यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है । जिस मनुष्य को यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है उस पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह नागों को आभूषण बनाकर धारण कर सकता है ।
मां दुर्गा का सर्वश्रेष्ठ मन्त्र : नवार्ण मन्त्र
मां दुर्गा के तीन चरित्रों से बीज वर्णों को चुनकर नवार्ण मन्त्र का निर्माण हुआ है। नवार्ण मन्त्र मनुष्य के लिए कल्पवृक्ष के समान है। यह मन्त्र उपासकों को आनन्द और ब्रह्मसायुज्य देने वाला है। अत: नवार्ण मन्त्र के जाप करने से ही दुर्गा के तीनों स्वरूपों को प्रसन्न कर मनोवांछित फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
घर पर देवी पूजा की सरल विधि
मां को अपने बच्चों से केवल प्रेम चाहिए और कुछ नहीं । अत: इनमें से जो भी वस्तु घर में उपलब्ध हो, अगर वह अपनी श्रद्धा और सामर्थ्यानुसार मां को अर्पित कर दी जाए तो वह उससे भी प्रसन्न हो जाती हैं । इतनी पूजा अगर रोज न कर सकें तो अष्टमी और नवरात्रों में इस पूजा-विधि को अपना सकते हैं ।
मां बगलामुखी और उनकी उपासना विधि
मां पीताम्बरा की उपासना में सभी वस्तुएं पीली होनी चाहिए । जैसे साधना पीले वस्त्र पहनकर की जाती है । पूजा में हल्दी की माला व पीले आसन, पीले पुष्प (गेंदा, कनेर प्रियंगु) और पीले चावल का प्रयोग होता है ।