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घोर संकट व भय का नाश करने वाली देवी दुर्गा की...
एक बार देवताओं ने देवी से कहा—‘जगत के कल्याण के लिए हम आपसे पूछना चाहते हैं कि ऐसा कौन-सा उपाय है, जिससे शीघ्र प्रसन्न होकर आप संकट में पड़े हुए जीव की रक्षा करती हैं ।’
नवरात्र में दुर्गा पूजन की विधि
कलश-स्थापन क्यों किया जाता है? कौन-से योग व नक्षत्रों में कलश-स्थापन नहीं करना चाहिए? कैसे करें घट-स्थापना के लिए कलश तैयार? कलश पर नारियल स्थापित करते समय रखें इन बातों का ध्यान,
कलश में देवी-देवताओं का आवाहन, देवी दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए करें ये विशेष उपाय ।
एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा : विधि
एकादशी तिथि को पूजन और व्रत करने वाले मनुष्य को काम, क्रोध, अहंकार, लोभ और चुगली जैसी बुराइयों का त्याग कर इन्द्रिय-संयम का पालन करना चाहिए; तभी उसका व्रत और पूजा पूर्ण होगी; अन्यथा वह निष्फल हो जाएगी । व्रत-पूजन पूरी श्रद्धा और भाव से करना चाहिए ।
सभी प्रकार के कष्टों का एक समाधान : तुलादान
सोलह महादानों में पहला महादान तुला दान या तुलापुरुष दान है । तुलादान अत्यन्त पौराणिक काल से प्रचलन में है । सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने तुलादान किया था, उसके बाद राजा अम्बरीष, परशुरामजी, भक्त प्रह्लाद आदि ने इसे किया । कलिकाल में यह तुलादान प्राय: काफी प्रचलन में है ।