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दक्षिण काशी की अधीश्वरी देवी : महालक्ष्मी अंबाबाई
महालक्ष्मी मन्दिर जिसे लोग अंबाबाई मन्दिर भी कहते हैं, 51 शक्तिपीठों में से एक हैं । सती के तीनों नेत्र यहीं गिरे थे । यहां की शक्ति महिषमर्दिनी और भैरव क्रोधीश हैं । महालक्ष्मी मन्दिर ही महिषमर्दिनी का स्थान है ।
श्रीमद् आदि शंकराचार्य द्वारा स्वर्ण की वर्षा
‘कनकधारा’ शब्द दो शब्दों कनक + धारा से मिलकर बना है । ‘कनक’ का अर्थ है स्वर्ण (सोना) और ‘धारा’ का अर्थ है ‘निरन्तर गिरना या धारा रूप में वर्षा होना । इसलिए ‘कनकधारा स्तोत्र’ का अर्थ हुआ वह स्तोत्र जिसके पाठ से लगातार स्वर्ण की वर्षा हुई ।
लक्ष्मीजी के स्वरूप में छिपा संदेश
लक्ष्मीजी के स्वरूप में उनका एक हाथ सदैव धन की वर्षा करता हुआ दिखाई देता है । इसका भाव है कि समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को सदैव सत्कार्यों और परोपकार के लिए मुक्त हस्त से दान देना चाहिए । दान से लक्ष्मीजी संतुष्ट और प्रसन्न होती हैं ।
महालक्ष्मी पूजन की दिव्य विधि
लक्ष्मी पूजन की दिव्य विधि जिससे इन्द्र ने पुन: प्राप्त की राज्यलक्ष्मी, महालक्ष्मी का मूलमन्त्र, व स्तोत्र
इन्द्र द्वारा राज्यलक्ष्मी प्राप्त करने के लिए की गयी महालक्ष्मी स्तुति
नित्य पाठ के लिए महालक्ष्मी स्तोत्र