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विष्णुपदी गंगा के 108 नाम व अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र
गंगाजी कभी किसी से कुछ मांगती नहीं, किसी से कुछ लेती नहीं, वह तो बिना भेदभाव के केवल देती ही देती हैं । वह तो अकालमृत्युहरिणी, आरोग्यदायिनी, दीर्घायु:कारिणी, मोक्षदा, रागद्वेषविनाशिनी हैं ।
गंगास्नान करने पर भी क्यों नहीं मिटते पाप ?
कभी-कभी हमारे मन में शंका होती है कि हमने अनेक बार गंगाजी में स्नान कर लिया और वर्षों से गंगाजल का सेवन भी कर रहे हैं फिर भी हमारे दु:ख, चिन्ता, तनाव, भय, क्लेश और मन के संताप क्यों नहीं मिटे ? हमारे जीवन में शान्ति क्यों नहीं है ? भक्ति कथा
भगवान विष्णु के चरणों से निकला अमृत है गंगा
गंगा ने ब्रह्मा के कमण्डलु में रहकर, विष्णु के चरण से उत्पन्न होकर और शिवजी के मस्तक पर विराजमान होकर इन तीनों की महिमा बढ़ा रखी है । यदि मां गंगा न होतीं तो कलियुग न जाने क्या-क्या अनर्थ करता और कलयुगी मनुष्य अपार संसार-सागर से कैसे तरता ?