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श्रीराधा का अद्भुत ऐश्वर्य और कंस की पराजय
श्रीराधा की ऐसी अद्भुत ऐश्वर्य शक्ति थी कि कंस के असुर बरसाने की सीमा से बहुत बच कर रहते थे; क्योंकि उनके मन में भय लगा रहता था कि यदि हम भी सखी बन गए तो गोपियां हमसे भी न जाने कब तक गोबर थपवाएंगी ।
श्रीराधा-कृष्ण का अनुपम प्रेम
राधारानी ने ललिता सखी से कहा—‘सखी ! यदि श्रीकृष्ण के हृदय में करुणा नहीं है तो इसमें तुम्हारा तो कोई दोष नहीं है । अब जो मैं कहती हूँ सो तुम करो । थोड़ी देर में जब मेरे शरीर से प्राण निकल जायें, तब तुम मेरी अन्त्येष्टि-क्रिया इस प्रकार करना । मेरे इस शरीर को तमाल वृक्ष से सटाकर बांध देना और उसकी डाल में मेरे दोनों हाथ लटका देना जिससे जीवित अवस्था में न सही, मरने के बाद इस शरीर को श्रीकृष्ण का आलिंगन मिलता रहे ।’