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शंख की उत्पत्ति कथा तथा शंख-ध्वनि की महिमा
समुद्र-मंथन के समय समुद्र से जो १४ रत्न निकले, उनमें एक शंख भी है । इसलिए इसे ‘समुद्रतनय’ भी कहते हैं । शंख में साक्षात् भगवान श्रीहरि का निवास है और वे इसे सदैव अपने हाथ में धारण करते हैं । मंगलकारी होने व शक्तिपुंज होने से अन्य देवी-देवता जैसे सूर्य, देवी और वेदमाता गायत्री भी इसे अपने हाथ में धारण करती हैं; इसीलिए शंख का दर्शन सब प्रकार से मंगल प्रदान करने वाला माना जाता है ।
भगवान विष्णु का हंस अवतार
भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों में बीसवां ‘हंस अवतार’ है । श्रीमद्भागवत के एकादश स्कन्ध के तेरहवें अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने उद्धवजी को अपने ‘हंसावतार’ की कथा सुनाई है । भगवान के हंसावतार की सम्पूर्ण जानकारी ।
भगवान के हरिहर स्वरूप का क्या है रहस्य ?
इतने में देवर्षि नारद वीणा बजाते, हरिगुण गाते वहां पधारे । तब पार्वतीजी ने नारदजी से इस समस्या का हल निकालने के लिए कहा । नारदजी ने हाथ जोड़कर कहा–‘मैं इसका क्या हल निकाल सकता हूँ । मुझे तो हरि और हर एक ही लगते हैं; जो वैकुण्ठ है वही कैलाश है ।’
भगवान विष्णु ने गरुड़ को अपना वाहन क्यों बनाया ?
गरुड़जी भगवान विष्णु के परिकर ही नहीं दास, सखा, वाहन, आसन, ध्वजा, वितान (छतरी, canopy) एवं व्यजन (पंखा) के रूप में जाने जाते हैं । जानें, गरुड़जी को सुपर्ण क्यों कहा जाता है ?
भगवान को पवित्रा क्यों धारण कराया जाता है ?
श्रावण शुक्ल एकादशी पवित्रा और पुत्रदा एकादशी के नाम से जानी जाती है । इस दिन भगवान को पवित्रा या पवित्रक अर्पण किया जाता है । वर्ष में एक बार किया गया पवित्रारोपण पूरे वर्ष भर की हुई श्रीहरि की पूजा का फल देने वाला है ।
भगवान विष्णु के चरणों से निकला अमृत है गंगा
गंगा ने ब्रह्मा के कमण्डलु में रहकर, विष्णु के चरण से उत्पन्न होकर और शिवजी के मस्तक पर विराजमान होकर इन तीनों की महिमा बढ़ा रखी है । यदि मां गंगा न होतीं तो कलियुग न जाने क्या-क्या अनर्थ करता और कलयुगी मनुष्य अपार संसार-सागर से कैसे तरता ?