चौंक गये ना ! व्रत की थाली में 56 भोग !
व्रत में फलाहार करने का मतलब सिर्फ फलों का ही आहार करना नहीं हैं । व्रत की फलाहारी थाली में भी 56 भोग बनाये जा सकते हैं । हमारे यहां भगवान श्रीकृष्ण के लिए 56 भोग लगाने की परम्परा रही है । अब तो सभी देवताओं के 56 भोग लगाये जाते हैं । जब भगवान के लिए 56 प्रकार के व्यंजनों का आविष्कार हुआ तो भला भक्त कैसे पीछे रहते ? उनकी रसोई में भी फलाहारी थाली के लिए सात्विक और स्वादिष्ट 56 भोगों का विकास हुआ । स्थानीय पैदावार, ऋतुचक्र और क्षेत्रीय स्वाद के प्रभाववश इस फलाहारी थाली में हर प्रान्त में अनोखी विविधता देखने को मिलती है ।
उपवास सबसे बढ़िया और मजेदार काम है, इससे एक तो रोज की दाल-रोटी से छुट्टी मिल जाती है; दूसरे फलाहार के नाम पर नये-नये पकवान खाने को मिल जाते हैं । हमारे देश में इतने फल, कंद और मसाले होते हैं कि फलाहारी खाने का ही एक छोटा शब्दकोश बन जाए ।
भारत में वाराणसी में जितनी तरह का फलाहारी भोजन (फरारी) मिलता है, उतना शायद और कहीं नहीं मिलता ।
आइये जानते हैं उपवास के दौरान खाए जाने वाले पकवानों की लम्बी लिस्ट जिनकी चर्चा करना भी स्वादिष्ट लगता है—
पेय पदार्थ—1. दूध (केसर, बादाम या नारियल का), 2. शेक (एपल शेक, बनाना शेक आदि) 3. लस्सी, 4. छाछ, 5. जूस, 6. शिकंजी, 7. नारियल पानी,
शर्बत—8. बेल का शरबत, 9. फालसे का शर्बत आदि,
10. स्मूदीज या फ्लेवर्ड योगर्ट,
11. श्रीखण्ड,
फल—12. आम, केला, सेब, अमरुद, अंगूर, पपीता, नाशपाती, संतरा, नारियल की गरी, आदि, फलों की चाट
चिप्स—13. आलू चिप्स व जालीदार सेव, फिंगर चिप्स, 14. केले के चिप्स
पापड़—15. आलू पापड़, 16. साबूदाना पापड़,
मेवे—17. काजू, किशमिश, बादाम, अखरोट, खजूर, मुनक्का, छुहारा आदि,
चटनी—18. छुहारा, खजूर, किशमिश, नीबू की चटनी, 19. आंवले की चटनी
मुरब्बा—20. आंवले का मुरब्बा, 21. सेब का मुरब्बा, 22. पेठा
रायता—23. आलू रायता, 24. लौकी का रायता,
कंद—25. शकरकंद भुना,
हलवा—26. आलू हलवा, 27. लौकी का हलवा, 28. कूटू का हलवा, 29. सिंघाड़े का हलवा, शकरकंदी का हलवा,
खीर—30. साबूदाना खीर, 31, रामदाना खीर, 32. साँवाँ चावल खीर, 33. लौकी खीर, 34. मखाने की खीर,
लड्डू—35. तिल के लड्डू, 36. रामदाना लड्डू, 37. खजूर व मेवा के लड्डू,
चिक्की या गजक—38. तिल की गजक, 39. मूंगफली की चिक्की, 40. रामदाने की चिक्की,
नमकीन—41. तले मखाने की नमकीन, 42. मूंगफली नमकीन, 43. रोस्टेड खरबूजे, पम्पकिन के बीज, 44. साबूदाने की नमकीन,
खिचड़ी—45. साँवाँ चावल खिचड़ी, 46. साबूदाना खिचड़ी,
पकौड़े व बड़े—47. कूट आलू के पकौड़े, 48. कूटू का बटाटा बड़ा, 49. साबूदाना वड़ा,
पूड़ी, परांठे, रोटी व चीले—50. कूटू के रोटी, परांठे, पूड़ी; सिंघाड़े के आटे की पूड़ी, राजगीरा की पूड़ी, कूटू का चीला, आलू के भरवां कूटू के परांठे
सब्जी—51. सादा आलू, दही वाले आलू, दही की अरबी, रतालू, लौकी की सब्जी, अदरक व किशमिश की सब्जी, अमरूद की सब्जी,
52. भारत में अचार के बिना भोजन की थाली पूरी नहीं होती है । व्रत में इसकी भी व्यवस्था है । नीबू के रस में नीबू के टुकड़े, अदरक व सेंधा नमक मिला कर कांच की बोतल में रखें । कुछ दिन धूप दिखायें । जब नीबू का छिलका गल जाए तो चीनी मिला सकते हैं या ऐसे ही नमकीन बना सकते हैं । यह अचार बरसों चलता है ।
53. सिंघाड़े के आटे की जलेबी,
54, तरह तरह की बर्फी,
55, रबड़ी,
56. पेड़े ।
कुछ व्रतों में भगवान का दूध, दही, शहद, घी व चीनी से पंचामृत बनाया जाता है जो अत्यन्त स्वादिष्ट होता है । संसार का कोई भी पेय पदार्थ इसकी बराबरी नहीं कर सकता है । पंचामृत का पान मनुष्य के तन-मन दोनों को शुद्ध कर देता है । चीनी की जगह मिश्री ज्यादा फलाहारी मानी जाती है ।
है ना व्रत करना मजेदार !
व्रत की थाली को भी बनाएं स्वाद व सेहत से भरा
व्रत में प्रयोग किये जाने वाला कूटू, सिंघाड़ा, रामदाना, मूंगफली, साबूदाना, साँवाँ चावल, दूध, दही, शुद्ध घी, शकरकंदी आदि सभी पदार्थ अत्यन्त पौष्टिक व स्वास्थ्यवर्धक होते हैं । यदि कोई व्यक्ति व्रत की थाली में सोच-समझकर व्यंजन शामिल करता है तो उसके शरीर में क्या कभी किसी भी प्रकार के विटामिन्स व खनिज-तत्त्वों की कमी हो सकती है ? इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने व्रत में जो आहार खाने का विधान बताया है, उसके लिए उन्हें धन्यवाद अवश्य देना चाहिए । लेकिन सच्चे अर्थ में व्रत में कन्द-मूल, फल व दूध लेना ही सर्वोत्तम है ।