क्यों है श्रीगणेश को दूर्वा अत्यन्त प्रिय ?
अमृत की प्राप्ति के लिए देवताओं और देत्यों ने जब क्षीरसागर को मथने के लिए मन्दराचल पर्वत की मथानी बनायी तो भगवान विष्णु ने अपनी जंघा पर हाथ से पकड़कर मन्दराचल को धारण किया था । मन्दराचल पर्वत के तेजी से घूमने से रगड़ के कारण भगवान विष्णु के जो रोम उखड़ कर समुद्र में गिरे, वे लहरों द्वारा उछाले जाने से हरे रंग के होकर दूर्वा के रूप में उत्पन्न हुए ।
भगवान गणेश को तुलसी क्यों नहीं चढ़ाई जाती है ?
श्रीगणेश ने भी तुलसी को शाप देते हुए कहा—‘देवि ! तुम्हें भी असुर पति प्राप्त होगा और उसके बाद महापुरुषों के शाप से तुम वृक्ष हो जाओगी ।’
श्रीगणेश आराधना दूर करती है दुर्गुण और दुर्भावना
श्रीगणेश ने अपने आठ प्रमुख अवतारों में जिन असुरों का वध किया है उनके नामों को देखने से स्पष्ट होता है कि श्रीगणेश मनुष्य के अंत:करण में छिपे उसके वास्तविक शत्रुओं—काम-क्रोध, लोभ-मोह, मद आदि का नाश करते हैं ।
मोदकप्रिय मुद मंगलदाता श्रीगणेश
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कैसा है श्रीगणेश का दिव्यलोक?
जैसे क्षीरसागर में भगवान नारायण शयन करते हैं वैसे ही श्रीगणेश इक्षुरस के सागर में शोभायमान हैं।
अपने प्रिय भक्तों के संकटहारी श्रीगणेश
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