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विभिन्न वस्तुओं द्वारा श्रीकृष्ण पूजन का फल
इस घोर कलिकाल में श्रीकृष्ण की पूजा-सेवा मनुष्य का बेड़ा पार लगाने वाली है; लेकिन शर्त यह है कि इस पूजा में भाव होना चाहिए । क्योंकि पत्थर की ही सीढ़ी और पत्थर की ही देव-प्रतिमा होती है; परन्तु एक पर हम पैर रखते हैं और दूसरे की पूजा करते हैं । अत: भाव ही भगवान हैं अन्यथा सब बेकार है ।
भगवान विष्णु के षोडशोपचार पूजन की विधि और मंत्र
हिन्दू धर्म में देवताओं का पूजन-कार्य 16 उपचार से किया जाता है । यद्यपि देवताओं को न तो पदार्थों की आवश्यकता होती है और न ही भूख । जब कोई सम्माननीय व्यक्ति हमारे घर पर आता है तो हम जो भी हमारे पास सर्वश्रेष्ठ वस्तुएं उपलब्ध होती हैं, उसके लिए प्रस्तुत करते हैं । फिर भगवान तो जगत्पिता, जगत के नियन्ता और जगत के पालक हैं; उनसे श्रेष्ठ, सम्माननीय और वन्दनीय और कौन हो सकता है ? इसलिए भगवान का पूजन षोडशोपचार विधि से किया जाता है ।