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मन के हारे हार है, मन के जीते जीत
स्वामी रामकृष्ण परमहंसजी ‘टाका माटी’ के खेल का अभ्यास किया करते थे । वे एक हाथ में ‘टाका’ यानी सिक्का और दूसरे में मिट्टी का ढेला लेते और ‘टाका माटी’, ‘टाका माटी’ कहते हुए उन्हें दूर फेंक देते थे । ऐसा अभ्यास वे पैसे के प्रलोभन से बचने के लिए अर्थात् पैसा और मिट्टी एक बराबर समझने के लिए करते थे ।
मन, इन्द्रिय और प्राणों में कौन है सबसे श्रेष्ठ?
शरीर में पंचप्राणों का स्थान व कार्य क्या है?