Tag: भगवान शिव
यमराज को मिला मृत्युदण्ड
प्रबल प्रेम के पाले पड़कर शिव को नियम बदलते देखा ।
उनका मान टले टल जाये, भक्त का बाल-बांका न होते देखा ।।
जब से भगवान...
क्या भगवान शिव को अर्पित नैवेद्य ग्रहण करना चाहिए ?
सौवर्णे नवरत्नखण्ड रचिते पात्रे घृतं पायसं
भक्ष्यं पंचविधं पयोदधियुतं रम्भाफलं पानकम्।
शाकानामयुतं जलं रुचिकरं कर्पूरखण्डोज्ज्वलं
ताम्बूलं मनसा मया विरचितं भक्त्या प्रभो स्वीकुरु।। (शिवमानसपूजा)
अर्थात्—मैंने नवीन रत्नजड़ित सोने के...
क्यों करते हैं भगवान अपने भक्तों की चाकरी ?
विद्यापति के लिखे पदों को सुनने के लिए भोलेनाथ ने धरा सेवक ‘उगना’ का रूप
भगवान शिव और पार्वती के परिहास में छिपा जगत का कल्याण
’पार्वती! तुम अपने पिता हिमाचल की तरह पत्थर-दिल प्रतीत होती हो। तुम्हारी चाल में भी पहाड़ी मार्गों की तरह कुटिलता है। ये सब गुण तुम्हारे शरीर में हिमाचल से ही आए प्रतीत होते हैं।’ शिवजी के इन वचनों ने पार्वतीजी की क्रोधाग्नि में घी का काम किया। उनके होंठ फड़कने लगे, शरीर कांपने लगा।
इक्यावन शक्तिपीठ जहां सती के अंग गिरे
सती का शरीर यद्यपि मृत हो गया था, किन्तु वह महाशक्ति का निवासस्थान था। अर्धनारीश्वर भगवान शंकर उसी के द्वारा उस महाशक्ति में रत थे। अत: मोहित होने के कारण उस शवशरीर को छोड़ न सके। भगवान शंकर छायासती के शवशरीर को कभी सिर पर, कभी दांये हाथ में, कभी बांये हाथ में तो कभी कन्धे पर और कभी प्रेम से हृदय से लगाकर अपने चरणों के प्रहार से पृथ्वी को कम्पित करते हुए नृत्य करने लगे। शिव के चरणप्रहारों से पीड़ित होकर कच्छप और शेषनाग धरती छोड़ने लगे। ब्रह्माजी की आज्ञा से ऋषिगण स्वस्तिवाचन करने लगे। देवताओं को चिन्ता हुई कि यह कैसी विपत्ति आ गयी। ये जगत्संहारक रुद्र कैसे शान्त होंगे?
भगवान शिव का संसार को दान
ब्रह्माजी इसलिए परेशान हैं कि जिन लोगों के मस्तक पर मैंने सुख का नाम-निशान भी नहीं लिखा था, आपके पति शिवजी अपनी परम उदारता और दानशीलता के कारण उन कंगालों को इन्द्रपद दे देते हैं, जिससे उनके लिए स्वर्ग सजाते-सजाते मेरे नाक में दम आ गया है। शिवजी ब्रह्मा का लिखा भाग्य पलटकर अनधिकारियों को स्वर्ग भेज रहे हैं। दीनता और दु:ख को कहीं भी रहने की जगह न मिलने से वे दु:खी हो रहे हैं। याचकता व्याकुल हो रही है। अर्थात् शिवजी की दानशीलता ने सभी दीनों व कंगालों को सुखी और राजा बना दिया है। शिवजी ने प्रकृति के सारे नियम ही पलट दिए हैं।