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सर्पभय और सर्पविष से मुक्ति देने वाली देवी मनसा
जिस भवन, घर या स्थान पर सर्प रहते हों वहां इस स्तोत्र का पाठ करने से मनुष्य सर्पभय से मुक्त हो जाता है । जो मनुष्य इस स्तोत्र को नित्य पढ़ता है उसे देखकर नाग भाग जाते हैं । दस लाख पाठ करने से यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है । जिस मनुष्य को यह स्तोत्र सिद्ध हो जाता है उस पर विष का कोई प्रभाव नहीं पड़ता और वह नागों को आभूषण बनाकर धारण कर सकता है ।