Tag: जूता दान
छाता और जूता दान करने की प्रथा कैसे शुरु हुई ?
भगवान सूर्य ने महर्षि को शीघ्र ही छाता और जूता (उपानह)—ये दो वस्तुएं प्रदान कीं और कहा—‘यह छत्र मेरी किरणों का निवारण करके मस्तक की रक्षा करेगा तथा ये जूते पैरों को जलने से बचाएंगे । आज से ये दोनों वस्तुएं जगत में प्रचलित होंगी और पुण्य के अवसरों पर इनका दान अक्षय फल देने वाला होगा ।’