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कर्मफल : जब यमराज बने दासी-पुत्र विदुर
ब्रह्मा आदि सभी देवता भी कर्म के वश में हैं और अपने किए कर्मों के फलस्वरूप सुख-दु:ख प्राप्त करते हैं । भगवान विष्णु भी अपनी इच्छा से जन्म लेने के लिए स्वतन्त्र होते तो वे अनेक प्रकार के सुखों व वैकुण्ठपुरी का निवास छोड़कर निम्न योनियों (मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन) में जन्म क्यों लेते ? सूर्य और चन्द्रमा कर्मफल के कारण ही नियमित रूप से परिभ्रमण करते हैं तथा सबको सुख प्रदान करते हैं, किन्तु राहु के द्वारा उन्हें होने वाली पीड़ा दूर नहीं होती ।
मथुरा जहां पूजे जाते हैं मृत्युदेवता ‘यमराज’
मथुरा नगरी को तीन लोक से न्यारा कहा गया है; क्योंकि यहां मृत्यु के देवता यमराज जिन्हें ‘धर्मराज’ भी कहते हैं, का मंदिर है । पूरे कार्तिक मास कार्तिक-स्नान करने वाली स्त्रियां यमुना-स्नान कर उनकी पूजा करती हैं ।
जिस प्रकार पूरे विश्व में ब्रह्माजी का मंदिर केवल पुष्कर (राजस्थान) में है; उसी प्रकार यमराज का मंदिर संसार में केवल मथुरा में है और वे यहां इस मंदिर में अपनी बहिन यमुना के साथ विराजमान हैं । मथुरा में यह मंदिर ‘विश्राम घाट’ पर स्थित है ।