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चातुर्मास में प्रिय वस्तुओं के त्याग का फल
चातुर्मास में जब भगवान विष्णु क्षीरसागर में अनन्त की शैया पर शयन करते हैं तो लक्ष्मीजी अपने करकमलों से उनके चरणों को दबाती है और क्षीरसागर की लहरें उनके चरणों को धोती हैं । अत: इस पुण्यकाल में जो मनुष्य व्रत-नियम लेकर रहते हैं वे मृत्युपर्यन्त विष्णुलोक में निवास करते हैं, उनका पुनर्जन्म नहीं होता है ।
चन्द्रमा की प्रसन्नता के लिए चान्द्रायण व्रत
कुण्डली में कमजोर चन्द्रमा को ठीक करने, पापों के नाश, किसी प्रायश्चित के लिए और चन्द्रलोक की प्राप्ति के लिए करें ‘चान्द्रायण’ व्रत ।
एकादशी व्रत को सभी व्रतों का राजा क्यों कहते हैं ?
जैसे देवताओं में भगवान विष्णु, प्रकाश-तत्त्वों में सूर्य, नदियों में गंगा प्रमुख हैं वैसे ही व्रतों में सर्वश्रेष्ठ व्रत एकादशी-व्रत को माना गया है । इस तिथि को जो कुछ दान किया जाता है, भजन-पूजन किया जाता है, वह सब भगवान माधव के पूजित होने पर पूर्णता को प्राप्त होता है ।